नई दिल्ली: आखिरकार 68 साल बाद एयर इंडिया Air India टाटा सन्स की हो गई। सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया को बेचने में कामयाब हो गई। टाटा समूह ने एयर इंडिया Air India के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
एयर इंडिया Air India पर मंत्रियों के लिए गठित समूह ने ये फैसला लिया है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
दीपम सचिव ने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि टाटा समूह की इकाई टैलेस प्राइवेट लिमिटेड 18 हजार करोड़ रुपये के साथ एयर इंडिया Air India में भारत सरकार की इक्विटी शेयर होल्डिंग की बिक्री के लिए सफल बिडर रही।
उन्होंने बताया कि यह सौदा इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। पांडे ने कहा कि एयर इंडिया के लिए टाटा समूह और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
तुहीन कांत पांडे ने बताया कि जब एयर इंडिया Air India विनिंग बिडर के हाथ में चली जाएगी, तब उसकी बैलेंसशीट पर मौजूद 46,262 करोड़ रुपये का कर्ज सरकारी कंपनी एआईएएचएल के पास जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस डील में 2,700 करोड़ रुपये का कैश मिलेगा। इस डील में एयर इंडिया Air India की जमीन और इमारतों सहित किसी भी नॉन एसेट को नहीं बेचा जाएगा।
दीपम सचिव ने कहा कि कुल 14,718 करोड़ रुपये के ये एसेट सरकारी कंपनी एआईएएचएल के हवाले कर दी जाएंगी। इसके अलावा कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी AISATS की आधी हिस्सेदारी भी मिलेगी।
टाटा ने 1932 में शुरू की थी एयर इंडिया
उल्लेखनीय है कि टाटा समूह ने एयर इंडिया Air India को 1932 में शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। जेआरडी टाटा खुद पायलट थे।
उस वक्त इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। साल 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी।
एयर इंडिया Air India के विनिवेश के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सिविल एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।