अहमदाबाद: रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक में रावण की प्रसिद्ध भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी का निधन हो गया है। अरविंद त्रिवेदी ने हिंदी-गुजराती फिल्मों सहित कई नाटकों और धारावाहिकों में अभिनय किया।
उनके निधन से गुजराती फिल्म उद्योग को गहरी क्षति पहुंची है। उन्हें गुजराती फिल्मों में भीष्म पितामह का सम्मान हासिल था। वे 82 वर्ष के थे।
ईडर के कुकड़िया गांव के मूल निवासी और पूर्व सांसद अरविंद त्रिवेदी का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के एक गुजराती परिवार में हुआ था। अरविंद त्रिवेदी का जन्म 8 नवंबर 1938 को इंदौर में जेठालाल त्रिवेदी के घर हुआ था।
उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) के भवंस कॉलेज में इंटरमीडिएट स्तर तक पढ़ाई की। 4 जून 1966 को उन्होंने नलिनी से शादी की। उनकी तीन बेटियां हैं। उनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी गुजराती फिल्मों के सुपर स्टार थे।
अरविंद त्रिवेदी के अभिनय का सफर गुजराती नाटकों से शुरू हुआ। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त रहे अरविंद त्रिवेदी ने मोरारी बापू के घर में राम की मूर्ति स्थापित की थी।
‘रामायण’ में रावण का किरदार निभाने के बाद वे पूरे देश में मशहूर हो गए। एक इंटरव्यू में अरविंद त्रिवेदी ने कहा था कि जब वे सीरियल में रावण का रोल प्ले कर रहे थे तो शूटिंग के लिए जाते वक्त राम की पूजा करते थे।
अरविंद त्रिवेदी ने करीब 300 फिल्मों में काम किया है। धार्मिक और सामाजिक गुजराती फिल्मों के जरिए उन्हें एक अलग पहचान मिली।
अरविंद त्रिवेदी ने ‘संतुरंगी’, ‘होटल पद्मनी’, ‘कुंवर बैनू मामेरु’, ‘जैसल-तोरल’ और ‘देश रे जोया दादा परदेश जोया’ जैसी कई सफल गुजराती फिल्में दी हैं। अरविंद त्रिवेदी ने ‘पराया धन’, ‘आज की ताजा खबर’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी काम किया है।
गुजरात सरकार की ओर से देश-दुनिया के कई संगठनों ने उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। उन्होंने कई फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं भी निभाई हैं।
गुजराती और हिंदी फिल्मों में सफल रहे अरविंद कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए थे और निजी जिंदगी मेंउन्हें लोगों का बहुत प्यार व सम्मान हासिल था।
2002 में उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का कार्यवाहक अध्यक्ष नामित किया गया था। अरविंद त्रिवेदी ने 20 जुलाई 2002 से 16 अक्टूबर 2003 तक सीबीएफसी के प्रमुख के रूप में कार्य किया।
1991 में अरविंद त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में साबरकांठा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में चुने गए और 1996 तक सांसद रहे।