RBI Monetary Policy: RBI ने गुरुवार को घोषणा की कि NBFC जैसी विनियमित संस्थाओं के लिए सभी खुदरा और MSME ऋणों के लिए उधारकर्ताओं को एक सरल प्रारूप में ‘मुख्य तथ्य विवरण’ (KFS) प्रदान करना अनिवार्य होगा।
RBI ने कहा, इससे सभी समावेशी ब्याज लागत सहित ऋण समझौते (Loan Agreement) की शर्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, जिससे लोन लेने वालों को सही निर्णय लेने में काफी फायदा होगा।
रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों पर लगाए गए ऋण और अन्य शुल्कों के मूल्य निर्धारण में विनियमित संस्थाओं (RI) द्वारा अधिक पारदर्शिता और प्रकटीकरण को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में कई उपायों की घोषणा की है।
ऐसा ही एक उपाय है कि ऋणदाताओं (Lenders) को अपने उधारकर्ताओं को एक मुख्य तथ्य विवरण (KFS) प्रदान करना होगा जिसमें ऋण समझौते के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होगी, जिसमें ऋण की सभी लागत भी शामिल होगी, जो सरल हो और समझने में आसान हो।
वर्तमान में KFS को कमर्शियल बैंकों द्वारा हर तरह के लोन लेने वालों को दिए गए लोन के संबंध में विशेष रूप से अनिवार्य किया गया है।