नई दिल्ली: किसानों की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश से खेतिहर मजदूरों और किसानों के एक संगठन के प्रतिनिधियों ने रविवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों का समर्थन किया।
मजदूरों और किसानों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने वाले संगठन हिंद-मजदूर किसान समिति के बैनर तले उत्तर प्रदेश के कुछ किसान प्रतिनिधियों ने यहां कृषि-भवन में केंद्रीय मंत्री तोमर से मिलकर उनको एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ये कानून किसानों के लिए हितकारी हैं और इससे किसानों को बिचैलियों के शोषण से मुक्ति मिलेगी।
हालांकि किसान प्रतिनिधियों ने नए कानूनों में संशोधन के कुछ सुझावों के साथ-साथ छह प्रमुख मांगें केंद्रीय मंत्री के सामने रखीं।
उन्होंने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के साथ इसे जारी रखने और किसानों को मंडी के भीतर व बाहर फसल बेचने का अधिकार दिए जाने का सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि करार खेती का हो खेत का नहीं। इस प्रकार इनके सुझाव में वही बाते हैं, जिसका जिक्र केंद्र सरकार लगातार करती आ रही है।
मगर, दिल्ली की सीमाओं पर 25 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों को ये मंजूर नहीं हैं। वे तीनों कानूनों को किसानों के बजाय कॉरपोरेट के लिए फायदेमंद बताते हैं, इसलिए सरकार से इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
हिंद-मजदूर किसान समिति ने सरकार के सामने जो छह मांगें रखी हैं, उनमें उनकी पहली मांग यह है कि दवाई-पढ़ाई और सिंचाई एक समान और मुफ्त हों। समिति ने किसानों के ट्रैक्टर चाहे 50 साल का क्यों न हो उस पर प्रतिबंध नहीं लगाने की मांग की है।
इसके अलावा ट्यूबवेल का बिल माफ करने और समय पर फसलों की खरीद की मांग की है। समिति ने फसल की कीमत का भुगतान एक सप्ताह के भीतर करने और ऐसा नहीं होने पर ब्याज के साथ भुगतान करने की मांग की है। हिंद-मजदूर किसान समिति ने पराली दहन को लेकर दर्ज मुकदमों को भी वापस लेने की मांग की है।