नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नये कृषि कानून के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसान यूनियनों से एक बार फिर नये सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर विचार करने की अपील की है।
केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को कहा कि नये कृषि कानून देश के किसानों के हित में हैं, जबकि कुछ यूनियन इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से नये कृषि कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहा है।
गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को आंदोलनकारी किसानों द्वारा देश की राजधानी दिल्ली में किसान गणतंत्र परेड निकालने से पहले कृषि मंत्री ने कहा कि किसान यूनियन अगर सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करके उन्हें बताएं तो आगे बातचीत हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री तोमर को उम्मीद है कि किसान यूनियन सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करेंगे और किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान होगा।
उन्होंने कहा कि बातचीत के माध्यम से ही समस्याओं का समाधान होगा।
उन्होंने विपक्षी दलों को किसानों के मसले को लेकर राजनीति नहीं करने की नसीहत दी।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं।
तीनों कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि फिलहाल रोक लगा दी है और शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञों की कमेटी इन कानूनों पर देशभर के किसान संगठनों व हितधारकों से मशविरा कर रह रही है।
इस बीच किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ किसान यूनियनों की 11 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।
मंत्री समूह के साथ 22 जनवरी को किसान यूनियनों के साथ आखिरी दौर की वार्ता में केंद्रीय मंत्री तोमर ने साफ कहा कि नये कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर जब किसान यूनियन सहमत होंगे तभी उनके साथ बातचीत होगी।