नई दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना से दुनियाभर के लोग जूझ रहे हैं। इसी बीच सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की कामकाजी महिलाएं कोरोना की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रहीं हैं।
सर्वे में कहा गया है कि कोरोना महामारी का विदेशों में काम कर रही महिलाओं की तुलना में भारत की कामकाजी महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे एशिया पेसिफिक देशों में महिलाओं को काम और सैलरी के लिए कड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है और कई जगह पर पक्षपात का सामना करना पड़ा है।
22 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना उतनी वरियता नहीं दी जाती। 85 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि 60 प्रतिशत क्षेत्रीय औसत की तुलना में ना उन्हें सही टाइम पर प्रमोशन, सैलरी हाइक या वर्क ऑफर नहीं मिलता है।
भारत की 37 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं का कहना है, कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलता है, जबकि केवल 25 प्रतिशत पुरुष ही इससे सहमत हैं।
इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है। सर्वे कहता है कि महामारी की वजह से बच्चों की देखभाल को लेकर भी चुनौतियां सामने आई हैं।
सर्वे में कहा गया है कि देश का कुल भरोसा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसमें कहा गया है कि घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी मांओं की दिक्कतें बढ़ी हैं।
अभी 10 में से 7 महिला (77प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं।
लगभग दो-तिहाई कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना करना पड़ा।