रांची: स्टेट के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सबकुछ ठीक नहीं है। प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा गरीब मरीजों को अपनी जेब कटवाकर भुगतना पड़ रहा है।
जी हां, रिम्स में पैथोलॉजिकल जांच करानी हो या रेडियोलॉजिकल, ज्यादातर मशीनों को भयंकर इन्फेक्शन हो गया है।
नतीजन, सस्ता इलाज कराने की उम्मीद लिये दूर-दराज से आए गरीब मरीजों को बाहर में टेस्ट करवाने पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
लेकिन, इससे प्रबंधन पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।
आलम ये है कि हृदयरोगियों की जांच के लिए कार्डियोलॉजी विभाग की दोनों ईको मशीनें महीनों से खराब पड़ी हैं।
वहीं, कैथलैब हर दो-चार माह में खराब हो जाता है और रिम्स में हृदयरोगियों का उपचार लगभग ठप हो जाता है।
उसी प्रकार ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए मेमोग्राम मशीन तो है, लेकिन यह भी जितने दिन ठीक रहती है, उससे ज्यादा दिन खराब ही रहती है।
कोरोना काल में दोनों सीटी मशीनें दो साल से खराब
हद तो यह है कि फिलहाल कोरोना के कई ऐसे मरीज हैं, जिनकी जांच में पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सिटी स्कैन में गंभीर इन्फेक्शन पाया गया है।
रिम्स की सीटी स्कैन मशीन लगभग दो साल से खराब पड़ी हैं।
ऐसी एक नहीं बहुत सी मशीनें हैं, जो मरीजों की जांच के लिए तो बहुत उपयोगी हैं, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही से कोई महीनों से तो कोई सालों से खराब पड़ी हैं।
उसी प्रकार हृदयरोगियों के उपचार का पूरा दारोमदार कैथलैब पर निर्भर होता है। लेकिन रिम्स का कैथलैब हर दो-चार माह में खराब हो ही जाता है।
70 रुपए में ईईजी के बजाय बाहर 800 रुपए खर्च
गिरिडीह के मुनीरुद्दीन को ब्रेन ट्यूमर था। रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ सीबी सहाय ने सर्जरी करके ट्यूमर तो निकाल दिया, लेकिन मुनीरुद्दीन को अब्दुर्रज्जाक अंसारी कैंसर हॉस्पीटल में रेडिएशन कराना पड़ा।
वह आयुष्मान भारत योजना का मरीज था। बावजूद इसके उसे रेडिएशन में अब तक 40 हजार रुपए खर्च करने पड़े हैं। ऐसे दर्जनों मरीज हैं, जिन्हें बाहर जाकर रेडिएशन लेना पड़ रहा है।
इसका कारण यह है कि रिम्स का लीनियर एक्सीलरेटर (ली नैक) लगभग एक साल से खराब है।
इसी प्रकार गोला निवासी दिलीप प्रसाद की 10 वर्षीया पुत्री मुस्कान रानी को रिम्स में ईईजी कराने की सलाह दी गई।
बच्ची के मामा पंकज कुमार ने बताया कि ईईजी जब कराने गए तो बताया गया कि मशीन महीनों से खराब पड़ी है।
उन्होंने बताया कि रिम्स में 70 रुपए में ईईजी हो जाती, जिसके लिए उन्हें बाहर 800 रुपए खर्च करने पड़े।
ऐसे दर्जनों नहीं, सैकड़ों मरीज हैं, जिन्हें रिम्स प्रबंधन की लापरवाही से परेशानी उठानी पड़ रही है।
कौन मशीन, कब से है खराब
मशीन अवधि
सीटी स्कैन 02 साल
लीनैक 01 साल
ईईजी 01 साल
ईको 03 माह
कैथलैब 08 दिन