रांची: RIMS में सालों से कार्यरत 378 निजी सुरक्षाकर्मी (Security Personnel) व ट्रॉलीमैन बुधवार की सुबह 6 बजे से हड़ताल (Strike) में बैठ गए।
हड़ताल में जाने का कारण था कि सितंबर 2022 से दिसंबर तक की सैलरी (Salary) उन्हें RIMS प्रबंधन की ओर से नहीं दी गई थी साथ ही प्रबंधन ने प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी (Private Security Agency) को हटाने का निर्णय भी ले लिया है।
‘सरकार द्वारा अब रिम्स में होमगार्ड (Home Guard) की तैनाती की जानी है। ऐसे में सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि अगर होमगार्ड आए तो अगले ही दिन 378 सिक्योरिटी गार्ड (Security Guard) व ट्रॉलीमैन की नौकरी चली जाएगी।
कोई रास्ता नहीं निकला तो वे हड़ताल में चले गए
प्रबंधन को दो बार लिखित अनुरोध करने के बाद जब कोई रास्ता नहीं निकला तो वे Strike में चले गए। सभी देर शाम तक अधीक्षक कार्यालय (Superintendent Office) के बाहर धरने पर बैठे रहे।
किसी ने भी दिन भर सेवा नहीं दी। नतीजन ट्रॉलीमैन (Trolley Man) के नहीं होने के कारण बुधवार को एंबुलेंस (Ambulance) में ही 3 गंभीर रोगी की मौत हो गई।
दिन भर RIMS के इमरजेंसी में हाई वोल्टेज ड्रॉमा चला। जिन मरीजों की मौत हुई उनमें एक गुमला, एक गिरीडीह व तीसरा मरीज रांची (Ranchi) के कर्बला चौक का रहने वाला था।
आखिरकार इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?
तीनों मरीज एंबुलेंस (Ambulance) में ऑक्सीजन सपोर्ट (Oxygen Support) में थे। परिजनों ने ट्रॉली ढूंढ़ी इसी में 40 से 45 मिनट का समय लग गया।
ट्रॉली लाने के बाद मरीज को ऑक्सीजन में शिफ्ट कर उतारना था, वे सिलिंडर ढूंढने गए, 20 मिनट बाद एक सिलिंडर (Cylinder) मिला भी तो वह खाली था। इसी बीच रोगी की मौत हो गई।
किसी तरह इमरजेंसी (Emergency) के अंदर परिजन खुद ही ले गए, देखने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
ऐसे में सवाल है कि आखिरकार इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? क्या जिम्मेदार ट्रॉलीमैन है जो अपनी सैलरी व मांगों को लेकर हड़ताल में गए हैं या फिर खुद RIMS प्रबंधन है?
मरीजों को ट्रॉली की सुविधा के लिए नहीं की गई थी कोई वैकल्पिक व्यवस्था
बता दें कि हड़ताल के कारण लोगों को बहुत परेशानी हुई। परिजन अपने मरीज को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिए ट्रॉली का इंतजार करते रहे। फिर खुद से ट्रॉली खोजकर अपने मरीजों को इमरजेंसी या वार्ड तक ले जा रहे थे।
कई परिजन अपने मरीज को गोद में उठाकर ले जाते दिखे। वहीं रिम्स प्रबंधन की ओर से मरीजों को ट्रॉली की सुविधा के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी।