पटना: Tejashwi-Yadav (तेजस्वी-यादव) के नेतृत्व वाले राजद में नीतीश कुमार के JDU के संभावित विलय के बारे में इस सप्ताह कुछ और संकेत दिखाई दिए। पहला एक भाषण में और दूसरा पोस्टर (Poster) पर। नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब इसे ही आगे बढ़ाना है। नीतीश के इस बयान के बाद के राजनीतिक संदर्भ भी निकलने लगे।
तेजस्वी यादव सरकार में भले ही Depauty CM हों, लेकिन उनकी पार्टी हाल ही में नीतीश कुमार सरकार के लिए नई जीवनदायिनी बनी है। दरअसल, बिहार विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी है।
PM नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा
बिहार में 32 वर्षीय तेजस्वी यादव के (Tejashwi-Yadav) “आगे बढ़ने” के साथ, 71 वर्षीय नीतीश कुमार राष्ट्रीय भूमिका की तलाश कर रहे हैं। हालांकि वह खुले तौर पर अपनी राजनीतिक मंशा का खंडन करते हैं, लेकिन वह उन कुछ गैर-कांग्रेसी नेताओं में शामिल हैं जिन्हें 2024 के लिए PM नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है।
“सामाजिक न्याय के साथ विकास” की त्वरित गति में
विलय का दूसरा संकेत JDU प्रमुख राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन द्वारा पार्टी के 19वें स्थापना दिवस 30 अक्टूबर को ट्वीट किए गए एक पोस्टर से आया है। जिसमें उन्होंने लिखा कि बिहार व देशभर के कार्यकर्ता साथियों एवं आदरणीय नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को हृदय से बधाई, आभार एवं अनंत शुभकामनाएं। सब मिलकर “सामाजिक न्याय के साथ विकास” की त्वरित गति में बिहार को विकसित प्रदेश बनाकर रहेंगे।
राजद पहले ही एक बड़े सामाजिक गठबंधन की बात कर चुकी है। पार्टी परंपरागत रूप से यादव-मुस्लिम वोट को अपना मूल मानती है। और तेजस्वी यादव ने हाल ही में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे अति पिछड़ी जातियों का भी सम्मान करें और उन्हें भी अपनाएं, जिन्हें नीतीश कुमार (Nitis Kumar) के मूल वोट के रूप में देखा जाता है।
RJD के नाम और प्रतीक के बारे में निर्णय ले सकते हैं
ये समुदाय मिलकर राज्य के मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा हैं। तेजस्वी यादव ने दिल्ली में राजद की राष्ट्रीय बैठक में “सामाजिक एकता” की रूपरेखा बनाई, जहां विलय के पहले संकेत भी आए। एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि केवल पिता-पुत्र ही RJD के नाम और प्रतीक के बारे में निर्णय ले सकते हैं।