हजारीबाग : आरटीआई एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी एवं जेल भेजे जाने के मामले का सच शुक्रवार को उजागर हो गया।
जिले के पुलिस अधीक्षक ने स्वीकार किया कि इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट को साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि साजिश रचने वाले पांच आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
एसपी कार्तिक एस ने बताया कि साजिश रचने वालों में आदित्य सोनी, डीड राइटर मो. एजाज असरफ उर्फ बबलू, सरफराज आलम उर्फ गुड्डू एवं बंटी उर्फ मेराज हुसैन शामिल हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले में जिला अवर निबंधन भी शामिल हैं। इसके जवाब में एसपी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इसकी भी जांच कराई जाएगी।
एसपी ने यह भी बताया कि राजेश मिश्रा आरटीआई के तहत निबंधन कार्यालय में होने वाले कई कार्यों का लगातार जानकारी मांगते थे।
इससे कार्यालय के लोगों को परेशानी हो रही थी, जिससे बचने के लिए उन्हें साजिश के तहत फंसाने की रणनीति बनी।
उन्होंने बताया कि 02 मार्च मंगलवार को फंसाने की रणनीति बनाई गई थी और 03 मार्च बुधवार को इसको अमलीजामा पहनाया गया।
राजेश मिश्रा को बाइक से दूर ले जाने के लिए आदित्य सोनी ने उसे चाय पिलाने के बहाने साथ ले गया। इस बीच अफीम और ब्राउन सुगर राजेश की बाइक में रख दिया गया।
बाद में पुलिस को पूरी जानकारी देकर उन्हें गिरफ्तार करवाया गया।
उल्लेखनीय है कि एसपी कार्तिक एस ने मामले की जांच के लिए सदर थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर गणेश कुमार सिंह, दारु इंस्पेक्टर नीरज कुमार सिंह, अंचल इंस्पेक्टर ललित कुमार तिवारी की टीम बनाई गई थी।
न्यायालय में पत्र भेजकर पुलिस करेगी सूचित
पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने यह भी बताया कि अब जब आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश कुमार मिश्रा को साजिश के तहत फंसाने का खुलासा हो गया है तो पुलिस न्यायालय को पत्र भेजकर सूचित करेगी।
उन्होंने कहा कि पुलिस पत्र के माध्यम से सूचित करेगी कि षड्यंत्र के तहत फंसाने का काम राजेश मिश्रा के साथ हुआ है।
ऐसे में गलती स्वीकार करते हुए न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ हो ताकि राजेश मिश्रा को राहत मिल सके। हालांकि, उन्होंने कहा कि केस डायरी भेजने में समय लगेगा।
लोहसिंघना थाना प्रभारी ने पुलिस की छवि को किया तार-तार
आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा की एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तारी व जेल भेजे जाने के मामले में लोहसिंघना थाना प्रभारी निशि कुमारी की भूमिका साजिशकर्ताओं के हाथ खेलने से इंकार नहीं किया जा सकता।
उनके द्वारा जिस तेजी से मामले में कार्रवाई करते हुए राजेश मिश्रा को जेल भेजने का काम किया गया, वह अपने आप में ही साजिश को जन्म देता है।
पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस के पत्रकार वार्ता में तो यह बात सामने आई कि राजेश मिश्रा को साजिश के तहत फंसाकर जेल भेजा गया।
ऐसे में थाना प्रभारी पर पुलिस की छवि को तार-तार करने का सवाल उठता है।
अब तो उनके द्वारा एनडीपीएस एक्ट सहित अन्य मामलों में की गई कार्रवाई पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं और कहीं न कहीं ऐसे मामलों में विपक्षी ऐसी कार्रवाई कर लाभ उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
हालांकि, पूछे जाने पर एसपी ने कहा कि थाना प्रभारी की भूमिका को आरोपित नहीं किया जा सकता।
यह अलग बात है कि ऐसे मामले में जिस तरह की तेजी थाना प्रभारी ने दिखाया उसे देखते हुए उन पर विभागीय कार्रवाई से इंकार करने की बात भी नहीं कही गई।
बहरहाल, थाना प्रभारी ने पुलिस की छवि को तार-तार तो किया ही है।