न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीन दिवसीय विशेष आपातकालीन बैठक के अंतिम दिन रूस और वहां के राष्ट्रपति के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
बैठक में मतदान के दौरान 140 देशों ने समर्थन किया, जबकि रूस समर्थक 35 देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया। बैठक में भारत और चीन सहित पांच देशों ने मतदान नहीं किया।
बुधवार को अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक में यूक्रेन पर युद्ध थोपने के आरोप में रूस और वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
इस प्रस्ताव पर भारत ने गुट निरपेक्ष नीति का धर्म निभाते हुए एक बार फिर मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
बैठक में भारत व चीन सहित पांच देशों में भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन चीन ने रूस के साथ मित्रता दिखाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि उसे रूस के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाने का भी कोई औचित्य समझ नहीं आता। चीन में स्पष्ट किया है कि वह रूस के साथ कारोबार जारी रखेगा।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 191 सदस्यों में से बुधवार को चर्चा करने के लिए अमेरिका, रूस, चीन सहित पांच स्थाई देशों सहित 181 सदस्य मौजूद थे।
रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर अमेरिका और उसके मित्र देशों सहित 140 लोगों ने समर्थन में मत दिया तो रूसी खेमे के बेलारूस, नार्थ कोरिया और सीरिया आदि 35 देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया।
उल्लेखनीय है कि सन् 1954 के पश्चात यह पहला ऐतिहासिक मौक़ा है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक में किसी सदस्य देश के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है।
यूक्रेन पर रूस के पिछले एक सप्ताह से हवाई और जमीनी आक्रमण किया है जिससे भारी जानमाल की क्षति हुई है।
इनमें भारत के एक छात्र सहित यूक्रेन के क़रीब दो हज़ार लोग मारे जा चुके हैं। बताया गया है कि यूक्रेन की आम जनता ने भी अपने देश की रक्षा के लिए बंदूक़ उठा ली है और अब तक रूस के पांच हज़ार सैनिकों को बंदी बना लिया है।
इसी बीच रूस पर बढ़ते दबाव के बावजूद बेलारूस और पोलैंड सीमा पर शांति वार्ता में कोई निष्कर्ष निकलेगा, इसकी सम्भावनाएं कम ही जताई जा रही हैं।