नई दिल्ली: रूस निर्मित पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज (INS Sindhudhwaj) को 35 साल की शानदार सेवा करने के बाद भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने सेवामुक्त कर दिया।
सीएनएस रोलिंग ट्रॉफी (CNS Rolling Trophy) से सम्मानित होने वाली यह एकमात्र पनडुब्बी है। नौसेना में अपनी पूरी यात्रा के दौरान रूस निर्मित सिंधुघोष श्रेणी की यह पनडुब्बी स्वदेशीकरण की दिशा में भारतीय नौसेना के प्रयासों की ध्वजवाहक थी।
पनडुब्बियों की विस्थापन क्षमता 3000 टन, अधिकतम गहराई 300 मीटर, गति 18 नॉट है
सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियां रूस और भारत के मध्य हुए समझौते के तहत बनी हैं जिनका इस्तेमाल भारतीय नौसेना करती है।
डीजल-बिजली चलित पनडुब्बियों की विस्थापन क्षमता 3000 टन है। अधिकतम गहराई 300 मीटर एवं अधिकतम गति 18 नॉट है। 53 नाविकों के साथ यह 45 दिन तक अकेले ऑपरेट कर सकती है।
पनडुब्बी के शिखर पर एक ग्रे रंग की शार्क को दर्शाया गया है। नौसेना में अपनी पूरी यात्रा के दौरान रूस निर्मित सिंधुघोष श्रेणी की यह पनडुब्बी स्वदेशीकरण की दिशा में भारतीय नौसेना (Indian Navy) के प्रयासों की ध्वजवाहक थी।
इन पनडुब्बियों में पहली बार स्वदेशी सोनार, स्वदेशी उपग्रह संचार प्रणाली रुक्मणी, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और स्वदेशी Torpedo Fire Control System लगाया गया था।
पनडुब्बी INS Sindhudhwaj (S-56) ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (Deep Submergence Rescue Vessel) के साथ सफलतापूर्वक यात्रा पूरी की है।
कमांडिंग ऑफिसर्स में से 15 ने भाग लिया
इसे 12 जून 1987 को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नवाचार के लिए सीएनएस रोलिंग ट्रॉफी (CNS Rolling Trophy) से सम्मानित होने वाली एकमात्र पनडुब्बी है।
भारतीय नौसेना की 35 साल की शानदार सेवा करने के बाद सेवामुक्त करने के लिए सूर्यास्त के समय पारंपरिक समारोह आयोजित किया गया।
घटाटोप आसमान ने इस मौके को और गंभीर बना दिया जब पनडुब्बी से डी-कमिशनिंग पेनेंट (De-Commissioning Penalty) उतारा गया था।
पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता समारोह के मुख्य अतिथि थे।
समारोह में विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में Commissioning CO और 26 Commissioning Crew के दिग्गजों सहित पूर्व कमांडिंग ऑफिसर्स में से 15 ने भाग लिया।