नई दिल्ली: सहारा ग्रुप (Sahara Group) और उसके सर्वेसर्वा सुब्रत रॉय की मुश्किलें फिर से बढ़ गई हैं। यह कार्रवाई नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में सेबी की ओर से की गई है।
सेबी ने ग्रुप की दो कंपनियों सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (Sahara Housing Investment Corporation Limited) पर शिकंजा कसते हुए 12 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सुब्रत रॉय समेत तीन अन्य लोगों पर पेनाल्टी भी लगाई है। बता दें कि डिबेंचर जारी में नियमों के उल्लंघन के अलावा सहारा समूह पर लोगों का पैसा हड़पने का भी आरोप है नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई
बता दें कि यह जुर्माना 2008 और 2009 में वैकल्पिक रूप से पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर (debentures) जारी करने में रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है।
सेबी ने जिन व्यक्तियों पर जुर्माना लगाया है, उनमें अशोक रॉय चौधरी, रवि शंकर दुबे और वंदना भार्गव का नाम शामिल हैं।
डेढ़ महीने का कंपनी को दिया गया अल्टीमेटम
जुर्माना राशि (fine amount) संयुक्त रूप से 45 दिनों के भीतर जमा करनी है। यह मामला सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लि. (अब कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन लि.) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लि. की तरफ से जारी ऐच्छिक पूर्ण परिवर्तन डिबेंचर (ओएफसीडी) से जुड़ा है।
दोनों कंपनियों ने 2008 और 2009 में ओएफसीडी जारी किये थे। इसमें कथित रूप से सेबी के आईसीडीआर (पूंजी और खुलासा जरूरतों का मामला) नियमन और पीएफयूअीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार गतिविधियां निरोधक नियम) नियमों का उल्लंघन किया गया।
माइंडट्री के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर जुर्माना
इसके अलावा सेबी ने चार लोगों पर 4 लाख रुपये पेनल्टी लगाई है। इन लोगों पर यह पेनल्टी माइंडट्री के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग गाइडलाइंस (insider trading guidelines) का उल्लंघन करने के लिए लगाई गई है।
यह घटनाक्रम जनवरी-मार्च 2019 का है, जब यह लोग डेजिग्नेटेड एंप्लॉयीज थे। 4 अलग-अलग ऑर्डर्स के मुताबिक, सेबी ने आर एन शंकर प्रसाद, विनय कुमार सुत्रावे, रवि कुमार और गंगाधरन शिवशंकर प्रत्येक पर 1-1 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।
बता दें कि आज भी हजारों लोग अपना पैसा सहारा से लेने के लिए इधर-उधर भटकने को विवश हैं। लेकिन कंपनी (company) है कि पैसे लौटाने का नाम तक नहीं ले रही है। इसके खिलाफ सरकार ने भी समय-समय पर कार्रवाई की है। लेकिन उसका भी कोई लाभ नहीं हो रहा।