सहरसा: निजीकरण के विरोध में भारतीय स्टेट बैंक सहित अन्य सभी राष्ट्रीयकृत बैंको के अधिकारियों और कर्मचारियों के हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को भी बैंको में ताले लटके रहे।
वहीं एटीएम में ताले लटक जाने से हाहाकार मच गया।लोगों को बैंक और एटीएम दोनों जगह रूपये की जमा एवं निकासी सहित अन्य काम नहीं होने से खरीददारी पर भी बुरा असर पड़ा।
सभी राष्ट्रीय कृत बैंको के हड़ताल एवं एटीएम बंद रहने के कारण लगभग 900 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। सबसे अधिक भारतीय स्टेट बैंक का कारोबार प्रभावित हुआ।
क्योंकि जिले में अकेले एसबीआई की 28 शाखा एवं 45 एटीएम है। जिसका प्रतिदिन का करीब ₹208 करोड़ कारोबार होता है।
एसबीआई बैंकों के बंद रहने से 1 दिन का करीब 200 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। वही एसबीआई की एटीएम के बंद होने से करीब 9 करोड का कारोबार प्रभावित हुआ।
वहीं क्षेत्रीय कार्यालय सहरसा के अधीन पड़ने वाले सुपौल जिले के 36 एटीएम बंद रहने से 7.2 करोड का कारोबार प्रभावित हुआ
।जबकि सेंट्रल बैंक पंजाब नेशनल बैंक बैंक ऑफ इंडिया बैंक ऑफ बड़ौदा उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक यूको बैंक इलाहाबाद बैंक इंडियन बैंक सहित अन्य सभी राष्ट्रीय कृत बैंकों के करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ।
भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी संघ के अधिकारी कौशल किशोर झा ने कहा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 16 और 17 को सभी कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं।
केंद्र सरकार ने क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में सौंपने के लिए बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 संसद के वर्तमान सत्र में पारित कराना चाहती है। जिससे निजी करण का रास्ता साफ होगा।
उन्होंने कहा कि हम बैंक कर्मी निजीकरण का विरोध करते हैं।वहीं विपुल कुमार सिन्हा ने कहा कि बैंक कर्मियों की मांग जायज है और उसे पूरा किया जाना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन में संतोष सिंह, बाबुल सिंह, राहुल कुमार, मो अशरफ, सुशांत सिंह, मनोज कुमार पासवान, बिपिन झा,मृत्युंजय कुमार, नीतीश राज, अमित मिश्रा सहित शांतिपूर्ण तरीके से मांग रखने अन्य कर्मियों ने बैंक कर्मियों की मांग पूरी करने की मांग की।