रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने जमीन और मकान का ख्वाब दिखाकर 500 करोड़ की ठगी करने वाली संजीवनी बिल्डकॉन कंपनी की 55.57 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।
इनमें झारखंड के रांची में स्थित 98 अचल संपत्तियां और रायपुर में तीन वाणिज्यिक दुकानें शामिल हैं। साथ ही मेसर्स संजीवनी बिल्डकॉन प्राइवेट के नाम से फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में बैंक बैलेंस भी शामिल है।
ईडी ने इस मामले में जयंत दयाल नंदी, अनीता दयाल नंद, श्याम किशोर गुप्ता और रंजना श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
ईडी ने सीबीआई रांची द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की और मेसर्स संजीवनी बिल्डकॉन प्राइवेट के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
जब्त संपत्तियों में संजीवनी बिल्डकॉन लिमिटेड और इसके निदेशकों और उनके रिश्तेदारों जयंत दयाल नंदी, अनीता दयाल नंदी, श्याम किशोर गुप्ता, रंजना श्रीवास्तव और प्रकाश प्रसाद लाला की संपत्ति अटैच की गई है।
उल्लेखनीय है कि ईडी की जांच में पता चला है कि संजीवनी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों ने विभिन्न मीडिया चैनलों और सार्वजनिक प्रचार के माध्यम से भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर झारखंड में बड़ी संख्या में लोगों को ठगा।
इसके परिणामस्वरूप निवेशकों से भुगतान प्राप्त होने के बाद चेक, नकद के माध्यम से भुगतान किया गया।
कंपनी के निदेशकों ने कंपनी के नाम पर बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले थे और उनके नाम पर इस तरह के फंडों को हटाने का काम किया था।
अपराध के आय का एक बड़ा हिस्सा भी आरोपितों ने व्यक्तिगत खातों में जमा करने के लिए नकद में वापस ले लिया था। जांच के दौरान इसके एक निदेशक श्याम किशोर गुप्ता को 12 मार्च, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया।
आठ आरोपितों के खिलाफ पीएमएलए विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की गई थी।
ईडी ने लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया है, जो फरार आरोपित जयंत दयाल नंद के खिलाफ था। वह इस घोटाले का मास्टर माइंड है। इस मामले में आगे की जांच चल रही है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में मास्टरमाइंड कंपनी का प्रबंध निदेशक जयंत दयाल नंदी अब तक फरार है।
वर्ष 2012 में घोटाले का खुलासा हुआ था। आठ साल के बाद भी अब तक रांची पुलिस और सीबीआइ भी जयंत दयाल नंदी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।