Saraswati Puja: इस साल 14 फरवरी को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) है। ज्ञान, विज्ञान और कल की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा-आराधना के शुभ समय के साथ बसंद ऋतु का आगमन भी हो जाता है।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पीले वस्त्र पहने जाते हैं क्योंकि पीला रंग बसंत ऋतु का प्रतीक होता है और इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। पीला रंग समृद्धि, उत्साह और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए लोग बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।
इस तरह से यह वस्त्र उत्सव के माहौल को और भी उत्साहित करता है। इसके अलावा, पीला रंग नई शुरुआतों और समृद्धि का संकेत भी होता है, जो इस त्योहार के मौके पर लोगों के जीवन में आने की कामना को दर्शाता है।
मां सरस्वती की पूजा करने का बड़ा महत्व
पंचांग के अनुसार, हिंदू धर्म (Hindu Religion) में हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने का बड़ा महत्व है। इस साल 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक मां सरस्वती पूजन का शुभ संयोग बन रहा है।
धार्मिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन पीले रंग (Yellow Colour) के वस्त्र पहनकर मां शारदा की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें पीले फूल अर्पित किए जाते हैं। इस दिन पूजा में पीली चीजों का इस्तेमाल करना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और बुद्धि-विवेक और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं।
सरस्वती पूजा में पीले रंग का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में पीला रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। Basant Panchami के दिन सूर्य के उत्तरायण में रहने से सूर्य की किरणों से पृथ्वी पीली हो जाती है।
मान्यता है कि पीला रंग लोगों के आत्विश्वास को बढ़ाता है। पीला रंग लोगों के तनाव को कम करने में भी मदद करता है। यह भी कहा जाता है कि पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए लोग बसंत पंचमी के दिन पीले रेग के वस्त्र पहनते हैं और मां सरस्वती से सुख-समृद्धि (Happiness and Prosperity) की कामना करते हैं।