रांची: झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है। इसका असर सरहुल पर्व पर भी देखने को मिला।
विभिन्न प्रखंडों से सैकड़ों की संख्या में आदिवासी महिला व पुरुष आज रांची पहुंचे। वहीं एक व्यक्ति जिनका नाम रामू है उन्होंने 1932 खतियान लागू करने की मांग अपने अंदाज़ में करते हुए नज़र आये। उन्होंने शरीर पर पेंट कराया और लिखा ‘हेमंत दा 1932 खतियान लागू करो’।
रामू ने बताया कि वो 1932 खतियान चाहते है और वो राज्य के मुखिया से अनुरोध करते हैं कि इसे लागू किया जाये। रामू ने कहा कि ‘झारखंड की एक ही पहचान 1932 का हो खतियान’।
यहां दो साल बाद धूमधाम के साथ सरहुल की शोभयात्रा निकाली गई। आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा प्रकृति पर्व सरहुल सोमवार को धूमधाम से मनाया गया।
झारखंड के जनजातीय समुदाय सरहुल को लेकर काफी उत्साहित दिखे। सरहुल को लेकर सुबह से ही झारखंड की राजधानी रांची में चहल-पहल तेज है।
हातमा सरना टोली में केकड़ा मछली पकड़ने का कार्यक्रम पूरा हो चुका है। रविवार शाम को केंद्रीय सरना टोली हातमा स्थित सरहुल पूजा शोभायात्रा के उद्गमस्थल पर जगलाल पाहन द्वारा पांच मुर्गे को चढ़ाकर दो घड़े में पानी रखा गया था।
सोमवार सुबह उन घड़ों के पानी की स्थिति देखकर भविष्यवाणी की गई कि आने वाली फसलें और बारिश कितना होगी।
दस बजे फिर पांच मुर्गे को चढ़ाया गया। इसके बाद नए फल फूलों की सब्जियां तथा चढ़ाए गए मुर्गे की टहरी बनाकर प्रसाद स्वरूप बांटे गए।
शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया
दो साल बाद निकली शोभायात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। राजधानी के विभिन्न सरना स्थलों से आकर्षक शोभायात्रा निकाली गयी।
जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत किया गया। शोभायात्रा में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी अपने पारंपरिक वेशभूषा में शामिल थे।
आदिवासी समुदाय की महिलाएं और पुरुष शोभायात्रा में मांदर की थाप पर पूरे लय में थिरक रहे थे। मुख्य शोभायात्रा हातमा स्थित सरना स्थल से निकाला गया।
शोभायात्रा मुख्य मार्ग से होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा। मेन रोड होते हुए सिरमटोली स्थित सरना स्थल पहुंचा। पूरा अलबर्ट चौक सरना झंडा से पटा हुआ था।
शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। राजधानी रांची सहित राज्यभर में जगह-जगह सरना स्थलों को भी सजाया गया।
पारंपरिक रीति-रिवाज से सरहुल का पूजा-पाठ की
शोभायात्रा में शामिल महिलाएं और पुरुष मांदर की थाप पर थिरक रहे थे। शोभायात्रा की तस्वीर लेने के लिये लोग व्यस्त दिखे।
अलबर्ट एक्का चौक पर शोभायात्रा के स्वागत के लिये मंच बनाये गये थे। वहां हर आने-जाने वालों को शरबत और चना का वितरण किया जा रहा था।
इधर, सरहुल शोभायात्रा से पहले झारखंड के मुख्यमंत्री आदिवासी हॉस्टल पहुंचे। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिरम टोली स्थित आयोजन स्थल पर पहुंचे।
वहां पारंपरिक रीति-रिवाज से सरहुल का पूजा-पाठ की। हेमंत सोरेन सरहुल के मौके पर मांदर बजाया और जमकर थिरके।