न्यूज़ अरोमा रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में आज संशोधन के बाद सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया। सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड अहम है। इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध भी है। भाजपा ने सरना धर्म कोड के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वर्ष 2021 की जनगणना में अलग आदिवासी/सरना धर्म कोड की व्यवस्था करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन बाद में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के कई सदस्यों के आग्रह पर प्रस्ताव में संशोधन करते हुए सरना आदिवासी धर्म कोड रखने पर सहमति हुई और इसे सदन से ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी गयी। इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी गई।
विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि पार्टी सरना धर्म कोड की मांग का समर्थन करती है, लेकिन सरकार की ओर से विधानसभा में रखे संकल्प के नाम आदिवासी/सरना धर्म पर आपत्ति है।
इस नाम से थोड़ा शक लग रहा है और षड़यंत्र की आशंका उत्पन्न हो रही है। इसलिए आदिवासी धर्म सरना कोड की जगह इस प्रस्ताव का नाम आदिवासी सरना कोड रखा जाए। विधायक बंधु तिर्की ने भी कहा कि सरना धर्म कोड की लंबे समय से मांग की जा रही है, लेकिन इस प्रस्ताव से आदिवासी शब्द को विलोपित किया जाना चाहिए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीपक बिरुआ ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग काफी लंबे समय से हो रही है। उन्होंने कहा कि टीएसी के अधिकारों का सदुपयोग होना चाहिए। आजसू पार्टी के लंबोदर महतो ने भी सरना धर्म कोड का समर्थन किया।
भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह ने भी कहा कि आदिवासियों की अपनी अलग पहचान रही है, इसलिए अलग धर्म कोड होना चाहिए।
कांग्रेस की ममता देवी ने कहा कि उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की बड़ी आबादी कुरमी/कुरमाली भाषा का प्रयोग करते है, इसलिए जनगणना में भाषा के कॉलम में कुरमी/कुरमाली भाषा को भी शामिल करना चाहिए।
पक्ष-विपक्ष के कई सदस्यों के सुझाव के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में आदिवासियों की संख्या 11 करोड़ थी, जो कुल आबादी का 8 से 9 प्रतिशत है। उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दुमका और बेरमो विधानसभा में उनकी ओर से धनबल का दुरुपयोग किया गया, इसके बावजूद उन्हें जनता ने खारिज करने का काम किया है, इसलिए अब उन्हें पांच वर्षां तक आराम करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पर संशोधन देते हुए आदिवासी/सरना धर्मकोड की जगह सरना आदिवासी धर्मकोड के प्रस्ताव को पारित करने का आग्रह किया, जिसे विधानसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
इससे पूर्व विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में दुमका और बेरमो उपचुनाव में नवनिर्वाचित दोनों विधायक बंसत सोरेन और कुमार जयमंगल को विधानसभा की सदस्यता की शपथ दिलायी गयी।
वहीं शोक प्रस्ताव में दिवंगत अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती समेत अन्य दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि भी दी गयी। मौन रखने के बाद सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।