नई दिल्ली: Delhi उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सत्येंद्र जैन और उनके दो सहयोगियों की प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच किए जा रहे धन शोधन मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने 22 मार्च को उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित (Safe) रख लिया था।
न्यायमूर्ति (Justice) दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा किया है।
न्यायाधीश (Judge) ने कहा, जैन को जमानत न देने का विशेष न्यायाधीश के आदेश सही व तर्कपूर्ण है।
जैन पिछले साल 30 मई से हिरासत में हैं
जैन पिछले साल 30 मई से हिरासत में हैं और उनके सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन हैं।
निचली अदालत (Lower Court) ने 17 नवंबर, 2022 को सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
ट्रायल कोर्ट (Trial Court) के अनुसार, यह प्रथमदृष्टया रिकॉर्ड में आया है कि सत्येंद्र जैन कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद भुगतान (Cash Payment) करके और फिर शेयरों की बिक्री के खिलाफ 3 कंपनियों में पैसा लाकर अपराध की आय को छिपाने में वास्तव में शामिल थे।
गलत तरीके से पढ़ा और गलत तरीके से लागू किया
उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में, जैन ने तर्क दिया था कि विशेष न्यायाधीश और ED ने केवल आवास प्रविष्टियों के आधार पर अपराध की आय की पहचान करके धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) को गलत तरीके से पढ़ा और गलत तरीके से लागू किया है।
यह तर्क दिया गया था कि आवास प्रविष्टियां पीएमएलए के तहत दंडनीय अपराध का कारण नहीं बन सकती हैं।
क्योंकि मामले में चार्जशीट (Charge Sheet) पहले ही दायर की जा चुकी है, ऐसे में उन्हें जेल में रखने की आवश्यकता नहीं है।