Jai Ram Ramesh on Electoral Bond: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jai Ram Ramesh) ने शनिवार को कहा कि पार्टी शुरू से ही चुनावी बॉन्ड में गुप्त रूप से लेन-देन के ख़िलाफ़ रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से Electoral Bond स्कीम को समाप्त करने का वादा किया था।
कांग्रेस महासचिव ने कहा…
कांग्रेस महासचिव ने एक बयान में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) प्रयास कर रहा था कि किसी तरह चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) से संबंधित डेटा जारी करने का समय 30 जून 2024 तक टल जाए। उन्होंने अंदेशा जताया कि संभवतः यह मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था।
रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बार-बार हस्तक्षेप के बाद एसबीआई को 21 मार्च 2024 को चुनावी बॉन्ड का डेटा जारी करना पड़ा। राजनीतिक दलों के साथ चंदा देनेवालों का मिलान करने में पायथन कोड की तीन लाइंस और 15 सेकंड से भी कम समय लगा।
उन्होंने कहा कि इससे SBI का यह दावा बेहद हास्यास्पद साबित हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगा गया डेटा उपलब्ध कराने में उसे कई महीने लगेंगे।
मोदी सरकार जाँच एजेंसियों को करती है नियंत्रित
रमेश के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने कुछ दिन पहले “चुनावी बॉन्ड घोटाले” में कथित भ्रष्टाचार के चार पैटर्न को हाइलाइट किया था जो प्रीपेड रिश्वत, पोस्टपेड रिश्वत, छापेमारी के बाद रिश्वत और फर्जी कंपनियां यानी शेल कंपनियां हैं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से Electoral Bond का डेटा सामने आने से लोगों को इन सभी चार श्रेणियों में गंभीरता से आंकलन करने की इजाज़त मिल गई है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जाँच एजेंसियों को नियंत्रित करती है।
रमेश ने कहा कि अपारदर्शी स्कीम ने यह सुनिश्चित किया कि रिश्वत को अब Electoral Bond के रूप में बैंकिंग चैनल के माध्यम से भेजा जा सकता था। रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने डेटाबेस इकट्ठा किया है, जिसमें सभी को BJP के इलेक्टरल बांड डोनर्स (चंदा देने वाले) के डेटाबेस में मैप किया गया है।