नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट-सुपर स्पेशियलिटी की इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा के पैटर्न में अंतिम समय बदलाव करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि युवा डॉक्टरों के साथ सत्ता के खेल में फुटबॉल की तरह बर्ताव बंद होना चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वो संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाने पर एक हफ्ते के अंदर जवाब दें।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि इन युवा डॉक्टरों को अंतिम समय में बदलाव के कारण भ्रमित किया जा सकता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि नेशनल मेडिकल कमीशन क्या कर रहा है। हम डॉक्टरों के जीवन से निपट रहे हैं।
आप नोटिस जारी करते हैं और फिर पैटर्न बदल देते हैं। आखिर अंतिम समय में पैटर्न बदलने की जरुरत क्यों पड़ी। आप अगले साल भी पैटर्न बदल सकते थे।
कोर्ट ने 20 सितंबर को केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था।
41 पीजी डॉक्टरों की ओर से दायर याचिका पर वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी के प्रवेश परीक्षा के लिए 23 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी किया गया था लेकिन 31 अगस्त को एक और नोटिफिकेशन जारी कर परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की घोषणा की गई।
ये बदलाव परीक्षा के ठीक दो महीने पहले की गई है। नीट-सुपर स्पेशियलिटी की परीक्षा 13 और 14 नवंबर को आयोजित होने वाली है।
याचिका में कहा गया है कि परीक्षा का वर्तमान पैटर्न 2018 से 2020 तक जारी रहा। इस पैटर्न के तहत सुपर स्पेशियलिटी के लिए साठ फीसदी जबकि फीडर कोर्स से चालीस फीसदी अंक थे।
लेकिन नए पैटर्न के मुताबिक क्रिटिकल केयर सुपर स्पेशियलिटी के सभी अंक जनरल मेडिसिन से होंगे।
इससे दूसरे संकाय के डॉक्टरों को काफी नुकसान होगा क्योंकि नीट-सुपर स्पेशियलिटी की तैयार कर रहे सभी डॉक्टर पुराने पैटर्न के मुताबिक तैयारी कर रहे थे।