नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय (Kolkata Highcourt) की खंडपीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) भर्ती घोटाले की CBI जांच के लिए एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया।
चंद्रचूड़ से कहा कि इस हफ्ते की शुरुआत में उच्च न्यायालय (High Court) के एकल न्यायाधीश ने प्रथम ²ष्टया यह माना था कि आयोग द्वारा दायर आवेदन एक बेनामी आवेदन था और यह जानना चाहा था कि इसका मसौदा किसने तैयार किया था।
सचिव को उच्च न्यायालय ने परीक्षा के लिए बुलाया
सिंघवी ने तर्क दिया कि शिक्षा विभाग (Education Department) के सचिव को उच्च न्यायालय ने परीक्षा (Exam) के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीबीआई जांच (CBI Investigation) को यह पता लगाने का आदेश दिया कि आवेदन किसके दिमाग की उपज था।
आयोग ने याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता मांगी थी
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थीं, को सूचित किया गया कि आयोग ने याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता (Independence) मांगी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसकी अनुमति नहीं दी और आवेदन की उत्पत्ति पर सीबीआई जांच का आदेश दिया।
सिंघवी की दलीलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के प्रधान सचिव मनीष जैन को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के उच्च न्यायालय के आदेश पर भी रोक लगा दी।