नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को राज्य कानून के तहत निर्धारित वार्षिक फीस जमा करने की अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए छात्रों द्वारा अनुपयोगी सुविधाओं के लिए 15% फीस में कटौती करनी चाहिए। स्कूल छात्रों को अधिक रियायत दे सकते हैं।
5 अगस्त 2021 से पहले छह समान मासिक किस्तों में फीस का भुगतान किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि स्कूल प्रबंधन फीस न देने के कारण छात्रों को ऑनलाइन या फिजिकल कक्षाओं में भाग लेने से नहीं रोकेंगे।
इसके साथ ही स्कूल फीस का भुगतान न होने की स्थिति में परीक्षा के परिणाम को नहीं रोकेंगे।
दरअसल निजी स्कूल प्रबंधन ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 की स्कूल फीस के मामले में शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसमें राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के साथ, मार्च 2020 से महामारी (लॉकडाउन) के कारण संबंधित बोर्डों द्वारा पाठ्यक्रम की कमी को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों द्वारा 70 प्रतिशत ट्यूशन फीस तक सीमित और स्कूल से 60 प्रतिशत फीस सहित स्कूल फीस के संग्रह को रोकने के सरकारी आदेशों को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को बरकरार रखा था।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के फैसले से राजस्थान में लगभग 36,000 निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और 220 अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर असर होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि स्कूल प्रबंधन शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए शुल्क/ बकाया राशि के गैर-भुगतान के आधार पर कक्षा 10 और 12 के लिए आगामी बोर्ड परीक्षाओं के लिए किसी भी छात्र/उम्मीदवार का नाम नहीं काटेंगे।