वॉशिंगटन: Astronomers Team (खगोलविदों की एक टीम) ने धरती के निकट तीन विशालकाय ऐस्टरॉइड (Three Giant Asteroids) का पता लगाया है जो सूर्य की रोशनी में छिपे हुए हैं।
इनमें से एक ऐस्टरॉइड का नाम 2022 EP7 है जिसे करीब एक दशक में देखा जाने वाला सबसे बड़ा ‘प्लैनेट किलर‘ (Planet Killer ) आकार का Asteroid माना जा रहा है।
यह ऐस्टरॉइड पृथ्वी के लिए ‘संभावित रूप से खतरनाक’ है। ब्रह्मांड में मौजूद कुछ ऐस्टरॉइड (Asteroid) पृथ्वी से टकराकर भयानक तबाही मचा सकते हैं।
करोड़ों साल पहले ऐसे ही एक ऐस्टॉइड के टकराने से आए प्रलय में डायनासोर खत्म हो गए थे। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ये तीन ऐस्टरॉइड पृथ्वी और शुक्र की ऑर्बिट (Orbit) में पाए जाने वाले एक समूह का हिस्सा हैं।
हालांकि सूर्य की चमक के चलते इन्हें देख पाना बेहद मुश्किल है जो इन ऐस्टरॉइड्स को टेलिस्कोप ऑब्जर्वेशन से बचाती है।
खोजे गए तीन ऐस्टरॉइड में से एक सबसे बड़ा है जिसकी चौड़ाई 1.5 किमी है
एक इंटरव्यू में अध्ययन के प्रमुख लेखक वॉशिंगटन के कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (Institute Of Science) की अर्थ एंड प्लैनेट्स लैबोरेटरी में खगोलविद स्कॉट एस शेपर्ड (Scott S Shepard) ने कहा कि 2022 एपी7 जैसा ऐस्टरॉइड ‘जीवन पर विनाशकारी असर डाल सकता है’ और संभावित रूप से ‘बड़े पैमाने पर विलुप्ति’ का कारण बन सकता है।
ये Asteroid सूर्य की रोशनी के पीछे छिपे हुए थे इसलिए खगोलविदों ने सूर्यास्त के समय इसका Observation किया।
उन्होंने चिली की सेरो टोलोलो इंटर-अमेरिकन ऑब्जर्वेटरी (Inter-American Observatory) में एक डार्क एनर्जी कैमरे का इस्तेमाल किया। हाई-टेक कैमरे की मदद से वे बेहद संवेदनशीलता के साथ विशालकाय ऐस्टरॉइड को देखने में सक्षम थे।
कैमरा मूल रूप से 2013 और 2019 के बीच एक डार्क एनर्जी सर्वे (Dark Energy Survey) करने के लिए बनाया गया था। खोजे गए तीन ऐस्टरॉइड में से एक सबसे बड़ा है जिसकी चौड़ाई 1.5 किमी है।
कई शताब्दियों तक यह जारी रहेगा
2022 EP7 की कक्षा ऐसी है जो एक दिन हमारे ग्रह के साथ टकरा सकती है। वर्तमान में शोधकर्ताओं के पास ऐस्टरॉइड के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
वर्तमान में यह सिर्फ पृथ्वी की कक्षा पार करता है जबकि यह सूर्य की विपरीत दिशा में होता है। जानकारी के अनुसार यह कई शताब्दियों तक जारी रहेगा क्योंकि ऐस्टरॉइड को सूर्य की परिक्रमा (Orbit Around The Sun) करने में करीब पांच साल लगते हैं।