Sharadiya Navratri : रविवार से शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) का शुभारंभ हो चुका है। इस दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूप की पूजा होती है। सोमवार को नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) की पूजा हो रही है।
मां ब्रह्मचारिणी का रूप शांत और मोहक
ब्रह्मचारिणी में ‘ब्रह्म’ (‘Brahma’) का अर्थ होता है ‘तपस्या’ और ‘चारिणी’ का अर्थ ‘आचरण’ करने वाली है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली। मां दुर्गा का यह रूप शांत और मोहक है।
देवी के इस स्वरूप को माता पार्वती (Mata Parvati) का अविवाहित रूप माना जाता है। इसलिए इस दिन उन कन्याओं की पूजा की जाती है।
मान्यता यह भी है कि मां को चीनी, मिश्री और पंचामृत बेहद पसंद है तो इसका भोग भी लगाएं। घी या दूध से बने पदार्थों का भोग लगाने से मां प्रसन्न होती हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार, संयम आदि की वृद्धि होती है।
भक्त इस प्रकार करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
भक्त सबसे पहले मां ब्रह्मचारिणी को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। मां को दूध, दही, घृत, मधु और शर्करा से स्नान कराएं। इसके बाद माता को पान, सुपारी और लौंग चढ़ाएं।
फिर गाय के गोबर के उपले जलाये और उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा अर्पित करें. हवन करते समय “ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम:” मंत्र का जाप करें।
मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठोर तपस्या
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि मां ब्रह्मचारिणी ने पूर्वजन्म (Past Life) में हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी।
यही कारण है कि इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया है। उनकी कठिन तपस्या के बाद भी जब महादेव प्रसन्न नहीं हुए तो माता ने बेल पत्र खाना भी छोड़ दिया।
कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की।
उन्होंने कहा कि हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। मां की आराधना करने वाले भक्त तमाम संकटों और समस्याओं (Crises and Problems) को झेल कर भी विचलित नहीं होते हैं।