Share Market दिनभर की उठापटक के बाद लाल निशान में बंद

News Desk
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नई दिल्ली: फरवरी में विनिर्माण गतिविधि में आई तेजी की सकारात्मक खबर के बावजूद कमजोर वैश्विक संकेत से हतोत्साहित निवेशकों ने जमकर बिकवाली की, जिससे बुधवार को घरेलू शेयर बाजार गिरावट में बंद हुए।

बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1.4 प्रतिशत यानी 778 अंक की गिरावट में 55,468 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 1.1 प्रतिशत यानी 188 अंक की गिरावट में 16,606 अंक पर बंद हुआ।

कमजोर वैश्विक रुख, कच्चे तेल की कीमतों में तूफानी तेजी, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों से निवेशकों का उत्साह ठंडा रहा। हालांकि दोपहर बाद जारी विनिर्माण गतिविधि के सूचकांक से बाजार में थोड़ी देर के लिए सकारात्मकता आई, लेकिन यह निवेश धारणा को मजबूत करने में कामयाब नहीं रहा।

बीएसई में बुधवार को 1,692 कंपनियों के शेयरों में तेजी और 1,652 कंपनियों के शेयरों के दाम में गिरावट रही। सेंसेक्स की 30 में से सात कंपनियां तेजी में और 23 लाल निशान में रहीं।

सेंसेक्स में सबसे अधिक मुनाफा टाटा स्टील ने कमाया। इसके अलावा टाइटन, रिलायंस, नेस्ले, एक्सिस बैंक, पावर ग्रिड और बजाज फाइनेंस के शेयरों में बढ़त रही। मारुति, डॉ. रेड्डीज, एशियन पेंट्स, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में गिरावट रही।

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बीएसई में सबसे अधिक तेजी धातु क्षेत्र के सूचकांक में रही। इसके अलावा ऑटो, बैंक, वित्त, रिएल्टी, दूरसंचार और स्वास्थ्य क्षेत्र के सूचकांक गिरावट में रहे।

निफ्टी में मारुति सुजुकी, डॉ. रेड्डीज, बजाज ऑटो, एशियन पेंट्स और हीरो मोटोकॉर्प सबसे अधिक घाटा उठाने वाली पांच कंपनियां रहीं, जबकि कोल इंडिया, एचडीएफसी लाइफ, एसबीआई लाइफ, टाटा स्टील और हिंडाल्कों के शेयरों में बढ़त रही।

एनएसई में ऑटो, निजी बैंक और वित्त क्षेत्र के सूचकांक में सबसे अधिक गिरावट रही, जबकि धातु, तेल एवं गैस में तेजी रही। जियोजीत फाइनेंशियल के शोध प्रमुख विनोद नायर के मुताबिक युद्ध के भड़कने से वैश्विक बाजार ठप पड़ गया है, जिसका असर भारतीय बाजार पर दिख  रहा है। इसका सबसे अधिक असर बड़ी कंपनियों पर पड़ा है।

इसके अलावा चालू वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर के सुस्त रहने से इस वित्तवर्ष जीडीपी विकास अनुमान 9.2 प्रतिशत से घटाकर 8.9 प्रतिशत कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी कच्चे तेल की कीमतों में तूफानी तेजी, विधानसभा चुनाव के परिणाम और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजे बाजार में उथलपुथल बनाए रखेंगे।

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