शिंदे सरकार ने वर्साेवा-बांद्रा सी लिंक और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का बदला नाम, अब कहलाएगा वीर सावरकर सेतु और अटल ब्रिज

News Aroma Media
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मुंबई: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार (Shinde Sarkar) ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने वर्साेवा-बांद्रा सी लिंक (Versaceva-Bandra Sea Link) का नाम बदल दिया है। अब इसे वीर सावरकर सेतु के नाम से जाना जाएगा।

इसके अलावा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का भी नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति सेतु (Atal Bihari Vajpayee Memorial Bridge) कर दिया गया है। पिछले महीने वीर सावरकर जयंती के दिन महाराष्ट्र सरकार ने इसे लेकर फैसला लिया था।

शिंदे सरकार ने वर्साेवा-बांद्रा सी लिंक और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का बदला नाम, अब कहलाएगा वीर सावरकर सेतु और अटल ब्रिज-Shinde government changed the name of Versova-Bandra Sea Link and Mumbai Trans Harbor Link, now it will be called Veer Savarkar Setu and Atal Bridge

औरंगाबाद और उस्मानाबाद का भी बदला था नाम

इससे पहले केंद्र सरकार ने फरवरी में औरंगाबाद और उस्मानाबाद (Aurangabad and Osmanabad) के बदले हुए नाम को मंजूरी दे दी थी। अब औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव के नाम से जाना जाएगा।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने ट्विटर पर यह खबर साझा की थी। औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था।

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शिंदे सरकार ने वर्साेवा-बांद्रा सी लिंक और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का बदला नाम, अब कहलाएगा वीर सावरकर सेतु और अटल ब्रिज-Shinde government changed the name of Versova-Bandra Sea Link and Mumbai Trans Harbor Link, now it will be called Veer Savarkar Setu and Atal Bridge

लंबे समय से नाम बदलने की हो रही थी मांग

छत्रपति शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) के सबसे बड़े बेटे छत्रपति संभाजी उनके पिता द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे। संभाजी महाराज को 1689 में औरंगजेब के आदेश पर फांसी दे दी गई थी।

कुछ विद्वानों के अनुसार उस्मानाबाद के समीप एक गुफा धाराशिव आठवीं सदी की है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठन इन दो शहरों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से कर रहे थे।

पिछले महीने किया था एलान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने बताया था कि राज्य की सरकार ने सावरकर जयंती को वीर सावरकर गौरव दिन के रूप में मनाने का फैसला किया है।

सरकार ने बांद्रा-वर्साेवा समुद्र सेतु का नामकरण भी वीर सावरकर के नाम पर करने का भी एलान किया था। अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को वीर सावरकर वीरता पुरस्कार (Gallantry Awards) देने का फैसला भी किया गया था।

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विपक्ष पर साधा था निशाना

देश के नए संसद भवन के उद्घाटन (Inauguration of the New Parliament House) को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा था कि लोकशाही का पवित्र मंदिर का लोकार्पण वीर सावरकर की जयंती के एतिहासिक दिन पर हुआ।

यह सभी लोगों के लिए एतिहासिक घटना थी। देश के 140 करोड़ लोग इसमें सहभागी बने और इसमें सभी लोगों को हिस्सा लेना चाहिए था। उनका इशारा विपक्षी दल की तरफ था।

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