भोपाल: मध्य प्रदेश में भले ही विधानसभा चुनाव होने में वक्त हो मगर सियासी दलों की नजर वोट बैंक पर है, राज्य में बड़ा वोट बैंक महिलाएं और बुजुर्ग है, अब इसे रिझाने की शिवराज सरकार ने कोशिशें तेज कर दी है। यही कारण है कि कन्या विवाह योजना और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना फिर शुरु हो रही है।
राज्य में शिवराज सिंह चौहान बतौर मुख्यमंत्री शुरू की गई महिलाओं से जुड़ी योजनाओं ने उन्हें नई पहचान दिलाने के साथ बेटियों का मामा और महिलाओं का भाई बना दिया। लगभग डेढ साल सत्ता से बाहर रहने के बाद सत्ता में हुई वापसी के बाद एक बार फिर उनका ध्यान इस वर्ग पर है।
राज्य में कन्या विवाह योजना फिर शुरू हो रही है। इस योजना में प्रति हितग्राही बेटी को 55 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है, इसमें से 38 हजार रूपए की सामग्री, 11 हजार रूपए का चेक और छह हजार रूपए आयोजन व्यय शामिल है।
इस योजना में पिछली बार कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी, यही कारण है कि मुख्यमंत्री चौहान ने इस योजना के क्रियान्वयन में पूरी तरह पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए हैं।
वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शुरू कर रही है। फिर शुरू हो रही इस योजना की पहली यात्रा भोपाल से 19 अप्रैल को रवाना होकर 20 अप्रैल की सुबह वाराणसी पहुंचेगी और 20 एवं 21 अप्रैल को तीर्थ-यात्री भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर गंगा आरती में भी शामिल होंगे। तीर्थ-यात्री 22 अप्रैल को गृह प्रदेश लौटेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान स्वयं भोपाल से इस यात्रा को रवाना करने वाले है, उन्होंने कहा है कि तीर्थ-यात्रियों को लौटते समय भगवान विश्वनाथ का स्मृति-चिन्ह भेंट किया जाए।
इस मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में भोपाल संभाग के चार जिले और सागर संभाग के तीन जिलों के 974 यात्री जायेंगे। इस ट्रेन में भजन मंडली भी रहेगी। भजन मंडली के सदस्य यात्रा के दौरान समयानुकूल भजन गाते रहेंगे। यात्रा पर जाने वाले तीर्थ-यात्रियों को तुलसी की माला पहनाई जाएगी।
इस यात्रा में शामिल होने के लिए जरुरी है कि तीर्थ-यात्री की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो। महिलाओं के संदर्भ में दो वर्ष की छूट दी जाती है। तीर्थ-यात्री आयकरदाता न हो और शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए।
किसी संक्रामक रोग से ग्रस्त न हो, यह भी आवश्यक है। यात्रा के लिए सक्षम 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग व्यक्ति के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं है। योजना में जो व्यक्ति तीर्थ-यात्रा कर आए हैं, वे पाँच वर्ष बाद ही पुन यात्रा के लिए पात्र होंगे।