रांची: रेमडेसिविर Remdesivir कालाबाजारी मामले की जांच सीआईडी CID के निवर्तमान एडीजी ADG अनिल पालटा के नेतृत्व में बनी एसआईटी SIT की टीम करेगी।
राज्य सरकार ने इस मामले से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि सरकार इस मामले की जांच एसआईटी से करवाने के पक्ष में है और उस एसआईटी SIT का नेतृत्व वरीय आईपीएस अधिकारी अनिल पालटा ही करेंगे।
अदालत ने राज्य सरकार के इस प्रपोजल को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि एसआईटी अपनी पुरानी टीम के साथ जांच जारी रखें और समय-समय पर जांच की विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सीलबंद लिफाफे में दे।
सुनवाई के दौरान आइए फाइल करने वाले याचिकाकर्ता, अधिवक्ता और झारखण्ड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेन्द्र कृष्ण ने अदालत में कहा कि दोनों के बीच गहरा संबंध है। जिस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह निर्देश दिया कि अनिल पालटा के नेतृत्व में एसआईटी की टीम रेमडेसिविर Remdesivir कालाबाज़ारी मामले की जांच करेगी।
साथ ही समय- समय पर अदालत को विस्तृत जांच रिपोर्ट से सूचित करेगी।
जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस उदित नारायण प्रसाद के अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमवार को सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि बीते 17 जून को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि एडीजी अनिल पालटा का ट्रांसफर क्यों कर दिया गया।
इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग झारखंड हाईकोर्ट कर रहा है, तो बिना अदालत से पूछे सीआईडी के निवर्तमान एडीजी अनिल पालटा का ट्रांसफर क्यों कर दिया गया। इसकी क्या जरूरत थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार के इस रवैये के कारण कोर्ट को रेमडेसिविर Remdesivir कालाबाजारी की जांच सीबीआइ से कराना पड़ सकता है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया था कि अनिल पालटा सीआईडी CID के एडीजी ADG थे, केस आईओ नहीं।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सीआईडी इस मामले की बेहतर ढंग से जांच करेगी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि तबादले से पहले सरकार को अदालत से पूछना चाहिए था।
क्योंकि, इस मामले की सुनवाई और मॉनिटरिंग हाईकोर्ट की डबल बेंच कर रही है।
मामले में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर कर अदालत को बताया कि जिस पदाधिकारी ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की बात अदालत के समक्ष उपस्थित होकर कही थी, सरकार ने उसका ट्रांसफर कर दिया।
इसलिए जब तक यह जांच पूरी नहीं हो जाती, उन्हें सीआईडी में डीजीपी पद पर बने रहने दिया जाए।