अमरावती: दक्षिण भारत के जाने-माने अभिनेता चिरंजीवी के राजनीति में दोबारा वापस आने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
हाल ही में जनसेना के नेता व पवन कल्याण के सहयोगी नदेनदला मनोहर ने इस बात की उम्मीद जताई थी कि चिरंजीवी हमेशा उनके छोटे भाई के राजनीतिक प्रयासों का समर्थन करेंगे।
लेकिन, इसी बीच दो तेलुगू भाषी राज्यों- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजनीति में इस प्रख्यात अभिनेता के सक्रिय होने की अटकलें तेज हो गईं।
इन अटकलों के मद्देनजर एक मूल प्रश्न जो जनता के मन में कौंध गई, वह यह थी कि क्या चिरंजीवी राजनीति में वापस आएंगे?
फिलहाल, इस पर संशय बना हुआ है और चिरंजीवी लंबे समय से राजनीति से निष्क्रिय बने हुए हैं। वेस्ट गोदावरी जिले के मोगालतुरु गांव के रहने वाले चिरंजीवी अभी अपनी अगली फिल्म आचार्य की शूटिंग में व्यस्त हैं।
आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस. सैलजानाथ ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने (चिरंजीवी) कभी भी यह नहीं कहा कि वह कांग्रेस से बाहर जा रहे हैं। लेकिन, अब तक उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला है। मैं सोच रहा हूं कि वह एक कांग्रेसी ही हैं।
सैलजानाथ ने कहा कि जनसेना के कार्यकर्ता इस बाबत अभी कयास ही लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बारे में कुछ स्पष्ट मालूम नहीं है। उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि पूर्व केंद्रीय मंत्री या चिरंजीवी से जुड़े मामलों को पार्टी ही देखती है।
गौरतलब है कि चिरंजीवी ने 2009 के आम चुनावों से एक साल पहले 2008 में प्रजा राज्यम पार्टी (पीआरपी) नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी।
सन् 1980 के दशक के मुकाबले 2009 एक बिल्कुल अलग ही साल था, जब एनटी रामाराव ने तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) का गठन किया और केवल नौ महीने में ही यह पार्टी सत्ता पर काबिज हो गई।
लगभग चार दशक पहले जब भारत में वैश्वीकरण नहीं था, या यू कहें कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में व्यापक रोजगार नहीं था, तब उस दौर में आम जनता फिल्मों सितारों से बहुत प्रभावित होती थी और उनके करिश्मे का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता था।
हालांकि काफी हद तक आज भी ऐसा है, लेकिन प्रशंसकों की विशाल संख्या को संभावित वोटर में तब्दील करने का फिल्मी सितारों का करिश्मा अब उतना रंग नहीं दिखा पा रहा है। वर्ष 2009 के बाद से यह निरंतर कम होता चला गया।