मेदिनीनगर: पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान स्वावलंबी बनेंगे और पारंपरिक खेती से हटकर स्ट्रॉबेरी सहित संभावना वाली अन्य फसलों को लगाने के लिए प्रेरित होंगे।
इससे किसान न केवल अपनी आर्थिक आमदनी को बढ़ायेंगे, बल्कि युवा पीढ़ी भी खेती को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
यहां की स्ट्रॉबेरी का आकार बेहतर है और बाजार की मांग के अनुरूप है। इसका रंग और मिठास भी ठंडे क्षेत्रों जैसा है।
यह बातें पलामू के आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने गुरुवार को कहीं। वे हरिहरगंज में किसानों द्वारा किये जा रहे स्ट्रॉबेरी की खेती का अवलोकन कर रहे थे।
उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे दीपक मेहता व अन्य किसानों से बातचीत कर पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती एवं अन्य नकदी खेती की संभावनाओं को जाना।
आयुक्त ने गर्मी के मद्देनजर स्ट्रॉबेरी की खेती में सिचाई का पूरा ध्यान रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि खेतों में स्ट्रॉबेरी को अधिक नहीं पकने दें, इससे फल बर्बाद होगा।
साथ ही फल में लालिमा आने पर उसकी तोड़ाई कराने की सलाह दी, ताकि थोड़ा हुआ फल भी अधिक समय तक सुरक्षित रह सके।
आयुक्त ने खेतों में खर-पतवार की निकौनी करते रहने की भी सलाह दी।
किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की मेढ़ पर खीरा का फसल लगाया गया था, जिसे देख आयुक्त प्रभावित हुए और कहा कि एक फसल की समाप्ति से पहले दूसरी फसल का तैयार होना किसानों की मेहनत व आत्मविश्वास का परिचायक है।
उन्होंने किसान दीपक मेहता से स्ट्रॉबेरी की नर्सरी, उसे बाजार में बेचे जाने की प्रक्रियाओं और बाजार मूल्यों से जानकारी ली।
आयुक्त ने कहा कि स्ट्रॉबेरी की मूल्य संवर्धन के लिए छोटी प्रोसेसिंग यूनिट एवं जूस बनाने का प्लांट लगाए जाने से किसानों को और फायदा होगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल की जाएगी।
उन्होंने बताया कि हरिहरगंज में 11 किसान मिलकर 36 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा नौडिहा बाजार, हुसैनाबाद आदि पलामू के विभिन्न क्षेत्रों के 72 एकड़ की भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है।
इससे किसानों को प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपये का फायदा हो रहा है। हरिहरगंज के दीपक मेहता के साथ शुभम, रौशन, राजीव रंजन, छोटन आदि किसान जुड़कर सामूहिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।