Sudden weather changes have wreaked havoc : उत्तर प्रदेश और बिहार में अचानक बदले मौसम ने भयंकर तबाही मचाई है। आंधी, बारिश और वज्रपात की घटनाओं ने दोनों राज्यों में मिलकर 80 से अधिक लोगों की जान ले ली। बिहार में वज्रपात, दीवार और पेड़ गिरने की घटनाओं में 61 लोगों की मौत हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में आंधी-तूफान और आकाशीय बिजली ने 22 लोगों को असमय काल के गाल में समा दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया, बल्कि सैकड़ों बीघा फसलों को भी बर्बाद कर दिया।
दोनों राज्यों की सरकारों ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है और घायलों के इलाज के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
मुआवजे की मांग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस आपदा से हुई जनहानि पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने प्रशासन को घायलों के समुचित इलाज और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। बिहार में नालंदा जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवाई। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि आंधी, तूफान, बारिश और वज्रपात जैसी घटनाओं में 50 से अधिक लोगों की मौत से वे मर्माहत हैं।
उन्होंने बिहार सरकार से मृतकों के परिजनों और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। तेज बारिश ने खेतों में रखी गेहूं की तैयार फसल को भी भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसानों में निराशा है।
उत्तर प्रदेश में वज्रपात से 22 लोगों की मौत
उत्तर प्रदेश में आंधी-तूफान और वज्रपात से 22 लोगों की मौत की खबर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आपदा पर शोक जताते हुए प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।
उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने और घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। यूपी के कई जिलों में फसलों को हुए नुकसान का आकलन शुरू कर दिया गया है।
किसानों को भारी नुकसान
इस प्राकृतिक आपदा ने दोनों राज्यों में किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। गेहूं, मक्का और अन्य रबी फसलों को नष्ट होने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। प्रभावित क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित होने और पेड़-पौधों के उखड़ने से सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हुआ है।
दोनों राज्य सरकारें राहत और पुनर्वास के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही हैं, लेकिन किसानों और प्रभावित परिवारों की चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही।