रांची: झारखंड के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने चौड़ी, कांके में बनने वाले झारखंड आंदोलनकारी स्मृति भवन (Jharkhand Agitator Smriti Bhawan) निर्माण कार्य का शनिवार को शुभारंभ (Start) किया।
उन्होंने कहा कि यह स्मृति भवन झारखंड आंदोलन एवं राज्य के गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनेगा।
स्वतंत्रता सेनानियों एवं आंदोलनकारियों के साथ न्याय नहीं किया
महतो ने कहा कि शिक्षाविद्, शोधार्थियों एवं झारखंड के युवाओं के लिए यह वरदान (Boon) साबित होगा।
देश के इतिहास के सबसे बड़े आंदोलन की भूमि झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों एवं झारखंड आंदोलनकारियों (Agitators) के साथ इतिहासकारों (Historians) ने न्याय नहीं किया। इतिहास के पन्नों में वो जगह नहीं मिली जिसके वे असली हकदार थे।
उन्होंने कहा कि लगभग साठ सालों के त्याग, बलिदान, तपस्या और अनगिनत शहादतों के बाद झारखंड राज्य का निर्माण हुआ लेकिन झारखंड आंदोलन एवं आंदोलनकारियों के बारे में बहुत कम लिखा और पढ़ा गया। यह हमारा दायित्व है कि अपने गौरवशाली इतिहास को हमारी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। इस स्मृति भवन निर्माण का मकसद व्यापक है।
स्मृति भवन राज्य आंदोलन से जुड़े कई तथ्य, दस्तावेज एवं शोध को स्मृति भवन आम लोगों तक पहुंचाएगा
झारखंड आंदोलन के बौद्धिक विचारकों (Intellectual Thinkers) में से एक प्रो. संजय बासु मल्लिक ने कहा कि अलग राज्य आंदोलन से जुड़े कई तथ्य, दस्तावेज एवं शोध हैं जो आम लोगों तक सुलभता से पहुंच नहीं पाते। ऐसे में यह स्मृति भवन एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।
झारखंड आंदोलनकारी स्मृति भवन निर्माण कार्य के शुभारंभ के अवसर पर कई झारखंड आंदोलनकारी एवं शिक्षाविद् (Agitator and Educationist) मौजूद थे।
इसमें हसन अंसारी, राजू महतो, पुष्कर महतो, राजेंद्र मेहता, रांची जिला परिषद अध्यक्ष एवं झारखंड के वीर सपूत स्व. वीरेंद्र भगत की पत्नी निर्मला भगत, नईम अंसारी, सागेन हांसदा, मसीहचरण पूर्ति, भरत कांशी साहू सहित अन्य शामिल थे।