Judges Can Make Mistakes: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जजों से भी गलतियां हो सकती हैं। Supreme Court ने अपने एक साल पुराने आदेश में हुई गलतियों को सुधारा है और साफ किया कि कोर्ट को अपनी गुलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने में हिचकना नहीं चाहिए, चाहे मामला बंद हो चुका हो।
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (Indiabulls Housing Finance) और उसके अधिकारियों को अंतरिम सुरक्षा देने से संबंधित एक मामले में की, जहां ED को सुने बिना ही कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे ने इस मामले में कहा कि उसके आदेश में कुछ गलतियां थीं जिसे अब सुधारा गया है।
कोर्ट ने माना कि पिछले साल दिए गए आदेश में ED को सुनवाई का मौका दिए बिना ही कार्यवाही रोक दी गई थी, जो एक गलती थी।
इसके साथ ही, बेंच ने एक और गलती को भी सुधारते हुए कहा कि अंतरिम सुरक्षा तब तक बनी रहेगी जब तक पक्षकार हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा लेते और उसके बाद इस पर फैसला लेना हाईकोर्ट का काम होगा।
हाईकोर्ट में अपना मामला उठाने की इजाजत दी
कोर्ट ने साफ किया कि यह सामान्य प्रक्रिया है कि जब किसी पक्ष को हाईकोर्ट में अपना मामला उठाने की इजाजत दी जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट सभी मुद्दों को हाईकोर्ट पर छोड़ देता है, ताकि पक्षकार वहां अपनी शिकायतें उठा सकें।
बेंच ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम उपाय वाला कोर्ट होता है और उसे अपने आदेशों में किसी भी गलती को स्वीकार करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
इस फैसले ने यह भी साफ कर दिया कि न्यायिक पदानुक्रम के उच्चतम स्तर पर बैठे जजों पर भी यह सिद्धांत लागू होता है कि लेकिन कोई गलती हो जाती है, तो उसे सुधारा जाना चाहिए।
ED की याचिका को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने पिछले साल 4 जुलाई को पारित आदेश के उस हिस्से को वापस ले लिया जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का जिक्र था।
यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है, और यह संदेश देता है कि अदालतें भी अपने आदेशों की समीक्षा और सुधार के लिए तैयार हैं।