इलेक्टरल बॉन्ड्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI को फिर लताड़ा, चुनाव आयोग को…

Central Desk

Supreme Court Again Scolds SBI: सोमवार को भी चुनावी चंदे के लिए Electoral Bonds की जानकारी साझा करने को लेकर SBI को सुप्रीम कोर्ट ने SBI को जमकर फटकारा।

SBI से अगले तीन दिनों में Bonds के यूनीक नंबर सहित सारी जानकारी निर्वाचन आयोग (Election Commission) से साझा करने को कहा है। आयोग को हिदायत दी गई है कि बैंक से मिली जानकारी फौरन अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर आम जनता को सुलभ कराएं।

इस मामले पर बैंक के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमने आदेश को जिस तरह समझा उसी तरह से उसका पालन किया। आपके आदेश और हमारे समझने में कोई गफलत हो गई होगी। हमने पूरी जानकारी तरतीब से साझा करने के लिए ही वक्त मांगा था।

SBI करे आदेश का पालन, बोले CJI

CJI जस्टिस DY चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमने तो पिछली सुनवाई में SBI को नोटिस जारी किया था। क्योंकि हमने आदेश में पूरी जानकारी देने को कहा था। लेकिन SBI ने बॉन्ड नंबर नहीं दिया। SBI पूरे आदेश का पालन करे। सभी बॉन्ड के यूनिक नंबर यानी अल्फा न्यूमेरिक नंबर निर्वाचन आयोग को मुहैया कराए। हम यह स्पष्ट करते हैं।’

हरीश साल्वे ने कहा कि जहांतक बॉन्ड के नंबर की बात है हमे कोई परेशानी नहीं है साझा करने में। हम दे देंगे। CJI ने SBI
से पूछा कि आप किस फॉर्मेट पर Electro Bond के डेटा को रखते है? एल्फा न्यूमेरिक रखने का क्या मतलब था? क्या ये सुरक्षा को लेकर था या कुछ और? अगर बॉन्ड को भुनाया जाता था तो ये कैसे पता चलता है की वो फेक नही है? इस पर साल्वे ने कहा कि हम धनराशि का पता लगाते हैं।

SG तुषार मेहता की दलील

CJI ने पूछा कि अगर बॉन्ड को भुनाया जाता था तो ये कैसे पता चलता है की वो फेक नही है? एसजी तुषार मेहता ने कहा। ‘आपने फैसला दिया। लेकिन कोर्ट के बाहर कुछ दूसरी तरफ इसे अन्य ढंग से लिया जा रहा है। गंभीर मामला SBI के अर्जी के बाद सामने आया। उसके पास प्रेस इंटरव्यू देना शुरू किया गया। सोशल मिडिया पर भी इसे अलग तरीके से चलाया गया।

अगर किसी ने किसी को पैसा दिया तो उसके बाद सब उसे अपने अपने अपने तरीके से देखते हैं। मीडिया कैंपेन चलाया गया ताकि जजों को शर्मिंदा किया जा सके। इस पूरी मुहिम के पीछे हिडेन एजेंडा है।’

CJI ने कहा कि हमने तो केवल कानून के हिसाब से फैसला दिया था। CJI ने मुकुल रोहतगी को कहा की आप अभी बहस न करें। अभी आपके एसिस्टेंस की जरूरत नही है।

प्रशांत भूषण को सीजेआई की दो टूक

वहीं प्रशांत भूषण ने कहा कि अप्रैल 2019 में कोर्ट ने बॉन्ड्स से मिले चंदे पर राजनीतिक पार्टियों से जानकारी मांगी थी। केवल कुछ ही राजनीतिक दलों ने उसका डाटा साझा किया है। इस पर CJI ने प्रशांत भूषण को कहा कि वो आराम से बहस करें। ये संविधान पीठ है।

फिर CJI ने कहा कि अगर आप 2018 की बात करेंगे तो वो उस फैसले की समीक्षा होगी जो हम नही करने जा रहे है। हम यहां पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए नही बैठे हैं।

प्रशांत भूषण ने बोलना शुरू किया तो SG ने फिर टोकते हुए कहा कि भविष्य में PIL दाखिल करने के लिए प्रशांत बहस करना चाहते हैं।

प्रशांत भूषण ने कहा कि बॉन्ड की खरीदारी 12 अप्रैल 2019 से पहले हुई होगी और उसे बाद में भुनाया गया। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने फिर प्रशांत भूषण को टोका।

CJI ने चुनावी बांड की जानकारी मांगने वाले आदेश को 12 अप्रैल 2019 से पहले बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि हमने सोच-समझकर 12 अप्रैल 2019 की कट ऑफ डेट दी थी। अगर हम उससे पहले जाएंगे तो यह ऑर्डर की समीक्षा करने जैसा होगा। तो उसे अंतिम तिथि होने दीजिए क्योंकि तभी अंतरिम आदेश पारित किया गया था। उसके बाद सभी को नोटिस में लाया गया था।

पहले की जानकारी मांगने वाली अर्जी खारिज

इस दलील के साथ ही Supreme Court ने 12 अप्रैल 2019 से पहले की जानकारी मांगने वाली अर्जी खारिज कर दी। CJI ने कहा कि अगर जानकारी मांगते है तो हमारे ही पिछले फैसले की समीक्षा जैसा होगा। लेकिन यहां अभी ऐसी कोई अर्जी नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि 15 फरवरी को ही हमने अपने फैसले मे कहा था कि SBI सभी जानकारी मुहैया कराए।

CJI जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI Justice Chandrachud) ने SBI के चेयरमैन को गुरुवार को शाम 5 बजे तक सारी जानकारी साझा करनी होगी। और इस बाबत एक हलफनामा (Affidavit) भी दाखिल करना होगा। EC के पास SBI से जैसे ही जानकारी आती है वो अपनी वेबसाइट पर उसे अपलोड करे, ताकि देश की जनता के सामने पूरी जानकारी आ सके।