उम्र कैद की सजा में छूट के आवेदनों पर एक माह में फैसला ले UP सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने…

News Aroma Media
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नई दिल्ली: UP सरकार की उम्र कैदियों को दी गई छूट (Exemption Given to Life Prisoners) पर सुप्रीम कोर्ट नाराज है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि शीर्ष अदालत के आदेशों के प्रति अफसरों के मन में लगता है थोड़ा भी सम्मान नहीं है।

क्योंकि, आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा काट रहे कुछ दोषियों की सजा में छूट के संबंध में सर्वोच्च अदालत के निर्देश के अनुपालन में राज्य सरकार लगभग एक साल से उपेक्षा बरत रही है। आदेश पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

उम्र कैद की सजा में छूट के आवेदनों पर एक माह में फैसला ले UP सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने…-UP government should take a decision on applications for exemption from life imprisonment in a month, the Supreme Court…

अधिकारियों को देना होगा सुप्रीम कोर्ट को जवाब

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Suryakant and Justice Dipankar Dutta) की पीठ ने निर्देश दिया कि यदि यूपी के संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ताओं की समय पूर्व रिहाई के सभी लंबित आवेदनों पर महीने भर में फैसला नहीं करेंगे तो राज्य के प्रमुख गृह सचिव (Home Secretary) को 29 अगस्त को अदालत में प्रत्यक्ष तौर पर पेश होना होगा। तब उन्हें अदालत को बताना होगा कि आखिर साल भर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया।

उम्र कैद की सजा में छूट के आवेदनों पर एक माह में फैसला ले UP सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने…-UP government should take a decision on applications for exemption from life imprisonment in a month, the Supreme Court…

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उम्र कैदियों की समय पूर्व रिहाई

अदालत की नाराजगी इस पर थी कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई, 2022 को आदेश दिया था कि कई उम्र कैदियों की समय पूर्व रिहाई के आवेदनों पर तीन महीने के भीतर अंतिम निर्णय लें, लेकिन इस आदेश को साल भर से भी ज्यादा यानी 14 महीने हो गए। इसके बावजूद कई कैदियों (Prisoners) की समय से पहले रिहाई की याचिकाओं पर अभी तक फैसला नहीं किया गया है।

सजा घटाने की याचिकाओं को 3 महीने से पहले निपटाना होगा

पीठ ने मई 2022 में दिए अपने पिछले आदेश में इस तथ्य पर जोर दिया था कि सभी याचिकाकर्ताओं ने अपनी वास्तविक सजा में 14 साल से अधिक की अवधि बिना छूट के पूरी कर ली है।

वे सभी सेंट्रल जेल, बरेली (Central Jail, Bareilly) में बंद हैं। प्रदेश सरकार की सजा में रियायत नीति और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई निर्देशों के मुताबिक राज्य सरकार को किसी कैदी की सजा माफी याचिका उसके पात्र होने के तीन महीने के भीतर निपटारा करना ही होगा। वह ऐसा करने के लिए वह बाध्य है।

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पिछले साल 42 कैदियों को किया गया था रिहा

पिछले साल शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले 42 अपराधी कैदियों में से कई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी माफी याचिका के आधार पर फैसला आने तक रिहा कर दिया था या बरी कर दिया था।

तब हाईकोर्ट और अन्य प्राधिकरण (High Court and other Authorities) के सामने समय से पहले रिहाई के लिए कम से कम सात ऐसे आवेदन लंबित थे।

अधिकारियों के ढिठाई भरे रवैए

अधिकारियों के ढिठाई भरे रवैए से नाराज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपके अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति जितना अनादर दिखा रहे हैं, हमें लगता है कि हमें अब कठोर कदम उठाने ही होंगे।

आपके अधिकारियों के मन में Court Order के प्रति तनिक भी सम्मान नहीं है। क्या आपके राज्य में यही हो रहा है?

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उत्तर प्रदेश सरकार के AAG अर्धेंदुमौली कुमार प्रसाद (AAG Ardhendumouli Kumar Prasad) ने स्वीकार किया कि प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। इस सिलसिले में हालांकि राज्य ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं।

अदालत ने कहा कि मामले की जड़ यह है कि राज्य सरकार मई 2022 के निर्देश का पालन करने में विफल रही है। लेकिन आप याद रखें कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

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