Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा, मुकदमे को अंजाम तक पहुंचने में काफी वक्त लगेगा।
न्यायमूर्ति MM सुंदरेश और न्यायमूर्ति SVN भट्टी की पीठ ने गौतम नवलखा की जमानत पर लगी बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया।
हालांकि, पीठ ने साथ ही नवलखा को नजरबंदी के दौरान सुरक्षा पर हुए खर्च के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश भी दिया।
Supreme Court ने नवलखा की ओर से दी गई दलील पर ध्यान दिया। वह चार साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और इस वजह से ट्रायल में काफी वक्त लगेगा।
पिछले साल दिसंबर में Bombay High Court ने नवलखा को जमानत दे दी थी। उन पर माओवादियों के साथ कथित संबंध का आरोप है। वो 14 अप्रैल 2020 से हिरासत में हैं।
73 वर्षीय गौतम नवलखा को Supreme Court के आदेश के बाद उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया था।
दरअसल, नवलखा और अन्य लोगों को पुणे पुलिस और बाद में NIA ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।