नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जतायी है।
कोर्ट ने सभी राज्यों से कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदम पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले की अगली सुनवाई 27 नवम्बर को होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा दिल्ली और गुजरात में स्थिति बदतर हो गयी है।
अगर राज्यों ने अभी पर्याप्त कदम नहीं उठाया तो दिसम्बर में स्थिति और ख़राब हो सकती। ये राज्यों के लिए आत्ममंथन का समय है।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना की रोकथाम के लिए पर्याप्त कदम उठाने होंगे।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट को इस मामले पर सुनवाई करने पड़ रही है।
दिल्ली सरकार को बहुत सारे सवालों का जवाब देना है।
दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि हमने जुलाई में विशेषज्ञों की एक टीम गठित की थी तब कोर्ट ने अभी के हालात के बारे में पूछा।
तब जैन ने कहा कि कोरोना से मृत व्यक्तियों के लिए 380 स्लॉट बनाए गए हैं।
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि पिछले दो हफ्ते में स्थिति काफी खराब हुई है। आप कोरोना मरीजों के प्रबंधन पर हलफनामा दायर कीजिए।
जैन ने कहा कि कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने पर 118 अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
तब कोर्ट ने पूछा कि वह तो 33 अस्पतालों के लिए था।
उसके बाद जैन ने कहा कि हमने एक नया नोटिफिकेशन लाकर 118 अस्पतालों में 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड करुणा के मरीजों के लिए आरक्षित किया है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एम आर साहनी गुजरात सरकार से पूछा कि वहां क्या स्थिति है।
गुजरात सरकार ने कहा कि हम इस पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि आपके राज्य में क्या चल रहा है आपने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया है क्या।
तब महाराष्ट्र सरकार की ओर से वकील राहुल चिटनिस ने कहा कि हम अगली सुनवाई की तिथि को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।