Supreme Court: एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गतिविधियों और कार्य प्रणाली पर शीर्ष अदालत ने कई बार सवाल खड़े किए हैं।
D Y चंद्रचूड़ के CJI बनने के बाद कई महत्वपूर्ण फैसले दिए गए हैं, जिसमें जांच एजेंसी को कड़ी फटकार लगाई गई है।
दिल्ली के कथित शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Former Deputy CM Manish Sisodia) को गिरफ्तार किया गया है।
जस्टिस संजीव खन्ना और Justice SVN भट्टी की पीठ ने मामले पर सुनवाई कर अक्टूबर 2023 को CBI और ED को लताड़ लगाकर कहा था कि आबकारी नीति मामले में सिसोदिया को अनिश्चित काल तक के लिए जेल में नहीं रख सकते है।
दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी ईडी को आड़े हाथ लिया।
दो जजों की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी की उस दलील को ठुकरा दिया था कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इसतरह के नेताओं की भीड़ लग जाएगी।
शीर्ष अदालत ने एजेंसी की दलीलों को ठुकराकर कहा कि सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले की सुनवाई चल रही है। उसमें अभी फैसला नहीं आया है। साथ ही कहा था कि उनसे समाज को कोई खतरा भी नहीं है।
देश के ऐसे चर्चित मामले हैं जिनमें जांच एजेंसी को सिर्फ अदालत में फटकार लगाई है
न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने पुरकायस्थ की जमानत याचिका पर सुनवाई कर उनकी गिरफ्तारी के तौर तरीकों से ऐतराज जताकर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया। पुरकायस्थ को UAPA की गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरकायस्थ को गिरफ्तार करने के बाद उनके वकील को सूचित किए बिना ही उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया गया। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी।
CJI DY Chandrachud की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस से पूछा था कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनका परेड कराने की घटना में एएफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लग गए?
अक्टूबर 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाकर हिदायत भी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि ED को प्रतिशोध में नहीं, बल्कि पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच होनी चाहिए।