Indo-Nepal Electricity Trade: भारत-नेपाल विद्युत व्यापार (Electricity Trade) समझौते को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 12 मार्च को सुनवाई होगी। यह सुनवाई Supreme Court की फुल बेंच करेगी।
भारतीय विदेश मंत्री के नेपाल दौरे के समय दोनों देशों के बीच 10 वर्ष में 10 हजार मेगावाट बिजली खरीद को लेकर एक समझौता हुआ था।
प्रमुख विपक्षी दल नेकपा (Amale) से मधुर संबंध रखने वाले सूर्यनाथ उपाध्याय ने इस समझौते को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है।
इस पर सुनवाई करते हुए Supreme Court के दो जजों- कुमार चुडाल और शारदा सुरंगा की बेंच ने इस मामले को फुल बेंच को रेफर करते हुए 12 मार्च की तारीख तय की है। याचिकाकर्ता के तरफ से इस पर अंतरिम आदेश देने की मांग की गई थी लेकिन कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से इनकार किया है।
याचिकाकर्ता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि नेपाल भारत के बीच हुए इस समझौते को बिना प्रक्रिया को पूरा करते हुए ही हस्ताक्षर किया गया है। याचिका में समझौते पर ऊर्जा सचिव की तरफ से हस्ताक्षर किए जाने का उल्लेख है जबकि कैबिनेट की तरफ से विदेश सचिव को यह अधिकार दिया गया था।
इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि इस समझौते में बिजली व्यापार के अलावा हाईड्रोपावर बनाने की बात कही गई है जो कि उचित नहीं है। इस याचिका में कोर्ट से यह मांग की गई है कि इस समझौते को संसद के दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से पारित कराए बिना लागू नहीं करने का आदेश दिया जाए।
Supreme Court ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय हित से जुडे़ होने के कारण इसे तीन जजों की फुल बेंच के समक्ष भेजा जा रहा है। इससे पहले नहकुल सुवेदी की सिंगल बेंच ने इस समझौते के सभी दस्तावेज को कोर्ट में जमा करने के साथ ही एमिकस क्यूरी से सुझाव देने को भी कहा था।
कोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और नेपाल बार एसोसिएशन ने अपने तरफ से एक-एक वरिष्ठ अधिवक्ता को Amicus Curiae के रूप में भेजा था।