Supreme Court issued guidelines on Bulldozer action : बुधवार को Supreme Court ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात समेत देश के कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) के लिए कोर्ट की ओर से विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी गई है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन (KV Viswanathan) की बेंच ने कहा कि बदला लेने के लिए बुलडोजर एक्शन नहीं हो सकता। प्रशासन जज नहीं बन सकता।
बेंच ने कहा कि किसी भी परिवार के लिए अपना घर सपना होता है और सालों की मेहनत से बनता है। इसलिए किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता कि वह किसी मामले में आरोपी या फिर दोषी है। बेंच ने कहा कि प्रशासन जज नहीं बन सकता। ऐसे एक्शन सीधे कानून की आत्मा पर चोट पहुंचाते हैं।
नहीं छीन सकते किसी का घर
अदालत ने स्पष्ट किया कि घर मूलभूत अधिकार है और उसे बिना नियम का पालन किए छीना नहीं जा सकता। मनमाना एक्शन की बजाय नियम का पालन होना चाहिए। बेंच ने कहा, ‘जनता का सरकार पर भरोसा इस बात पर निर्भर करता है कि वह लोगों के प्रति कितनी जवाबदेह है और उनके अधिकारों का कितना संरक्षण करती है।
उनकी संपत्तियों का भी संरक्षण होना चाहिए।’ बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बुलडोजर एक्शन जैसी चीजें नहीं की जा सकतीं। यही नहीं संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर ऐक्शन को लेकर देश भर के लिए गाइडलाइंस तय की है।
गाइडलाइंस में कोर्ट ने क्या बताया
अदालत ने कहा कि बिना लिखित नोटिस दिए किसी की संपत्ति नहीं ढहाई जा सकती। यह नोटिस कम से कम 15 दिन पहले मिलना चाहिए। इसे रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए।
संबंधित इमारत पर भी चस्पा किया जाए। यह भी बताया जाए कि इमारत को क्यों गिराया जा रहा है। उसी नोटिस में यह भी बताना होगा कि इस ऐक्शन से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
मलिक को सुनवाई का देना होगा मौका
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन से पहले उसके मालिक को निजी तौर पर सुनवाई का मौका देना होगा।
इसके अलावा अधिकारियों को आदेश के बारे में मौखिक तौर पर जानकारी देनी होगी। बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी भी होगी, ताकि यह सबूत रहे कि कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन हुआ भी है या नहीं।
नियमों का पालन नहीं करने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
अदालत ने कहा कि डीएम को यह देखना होगा कि बुलडोजर एक्शन पर नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। उन्हें तय करना होगा कि उन्हीं इमारतों को गिराया जाए, जो अवैध हैं और उसमें भी नियमों का पालन हो।
नियमों का पालन किए बिना घर या इमारत गिराने वाले अधिकारियों पर एक्शन होगा। अदालत की अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है। इसके अलावा फाइन भी लगाई जा सकती है। यही नहीं संपत्ति गिराने से हुए नुकसान की भरपाई भी अधिकारियों से कराई जा सकती है।
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि कानून के तहत सभी नागरिकों के साथ समान बर्ताव होना चाहिए। किसी का भी घर गिराना उसके मूल अधिकार के खिलाफ है।
अदालत में कुछ रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि एक अपराध पर किसी का तो घर गिरा दिया गया, लेकिन वैसा ही अपराध करने पर दूसरे समुदाय से आने वाले व्यक्ति के साथ ऐसा कोई ऐक्शन नहीं हुआ।
अवैध निर्माण पर लागू नहीं होगा नियम
जस्टिस गवई ने कहा कि यह नियम अवैध निर्माण गिराने पर लागू नहीं होगा,जिन्हें सार्वजनिक संपत्तियों के अतिक्रमण से बनाया गया हो। जैसे सड़क, जलाशय, रेलवे स्टेशन या जंगल पर कोई निर्माण हुआ हो तो वहां बुलडोजर एक्शन लिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि किसी अवैध निर्माण को गिराना है तो उसमें पक्षपात नहीं होना चाहिए।
किसी आरोपी के बैकग्राउंड या फिर उसके समुदाय को देखते हुए Action नहीं लेना चाहिए। गवई ने कहा कि यह तय होना चाहिए किसी भी आरोपी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। प्रशासन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकता और उसके आधार पर घर नहीं गिराया जा सकता।