लाखों बुजुर्ग अपने ही परिवार की ज्यादती का हो रहे शिकार, समय से भोजन और दवा…

Central Desk

Supreme Court Instructions: हमारे भारतीय समाज में कहा जाता है की बुजुर्गों की सेवा हमारा कर्तव्य है, लेकिन जो सामने दिख रहा है उसकी भयावहता दुखद है।

देश के विभिन्न राज्यों की अदालतों में 35 लाख से अधिक बुजुर्ग अपने ही परिवारजनों की ज़्यादती का शिकार हो रहे हैं। 7 लाख बुजुर्गों को उनके परिवारजनों ने उनके हाल पर छोड़ दिया है। उन्हें ना तो दो टाइम का भोजन मिलता है। ना ही उन्हें दवाइयां मिल पाती हैं।

घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के मामले में लाखों बुजुर्ग न्यायालय मैं जाकर अपना हक मांग रहे हैं। वर्षों से न्यायालय में मामले लंबित हैं। बुजुर्गों के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,कर्नाटक, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा,Punjab, गुजरात, Jharkhand,दिल्ली और छत्तीसगढ़ में लंबित हैं। जनवरी 2024 तक लगभग 35 लाख मामले न्यायालयों में लंबित पड़े हुए हैं।

दो से तीन माह के अंदर निपटाने के निर्देश

Supreme Court ने बुजुर्गों के मामलों को दो से तीन माह के अंदर निपटाने के निर्देश अदालतों को दिए हैं। इसके बाद भी विभिन्न अदालतों में 5 से लेकर 10 वर्ष तक के मुकदमे लंबित हैं। जहां पर लंबे समय से मुकदमे लंबित हैं।

उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान शामिल हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत राजस्थान की है।

देश के सभी 24 हाई कोर्ट में लगभग 7 लाख मामले लंबित

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में बुजुर्ग नागरिकों के 103233 मामले लंबे समय से लंबित हैं। देश के सभी 24 हाई कोर्ट में लगभग 7 लाख मामले बुजुर्गों के लंबित पड़े हुए हैं। सरकार से भी बुजुर्गों को तत्काल राहत दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।

जिसके कारण बुजुर्ग अपने अंतिम समय पर बहुत कष्ट के साथ जीने के लिए विवश हैं। कई बुजुर्ग तो असमय दम तोड़ देते हैं। मरने तक उन्हें न्यायालय से कोई सहायता उपलब्ध नहीं हो पाती है। यह एक तरह से पारिवारिक कर्तव्य के पतन की ओर संकेत करता है।