नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले पर दंगे भड़काने और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मथुरा जेल में बंद कप्पन को वकील से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है। सिब्बल ने कहा कि एफआईआर में कप्पन के नाम का जिक्र नहीं किया गया है।
तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं लेकिन आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि धारा 32 के तहत याचिकाएं दायर नहीं की जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 12 अक्टूबर को सुनवाई टालकर याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि उन्होंने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी लेकिन बाद में पता चला कि यूएपीए की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा था कि यूपी की कोई भी कोर्ट उन्हें जमानत नहीं देगी। हमें धारा 32 के तहत याचिका दायर करने दीजिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएं।
सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके कप्पन की गिरफ्तारी को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए तुरंत रिहाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कप्पन की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के मामले में किसी पत्रकार को अपने काम के दौरान गिऱफ्तार करने को गलत बताया था। कप्पन एक मलयाली ऑनलाइन न्यूज पोर्टल में कंट्रीब्यूटर हैं।
हाथरस टोल प्लाजा पर यूपी पुलिस ने 5 अक्टूबर को तीन अन्य पत्रकारों अतीक-उर रहमान, मसूद अहमद और आलम को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक इन पत्रकारों के पास से मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ साहित्य बरामद किए गए थे जिनका शांति पर असर पड़ने की आशंका थी।