नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से पूछा कि वह महिला कैडेट को एनडीए और नौसेना अकादमी में सशस्त्र बल की ट्रेनिंग में क्यों नहीं शामिल करते।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और अन्य को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में योग्य एवं इच्छुक महिला उम्मीदवारों को शामिल नहीं करने का मुद्दा उठाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को केवल लिंग के आधार पर एनडीए में शामिल नहीं किया जाता है जो समानता के मौलिक अधिकारों का कथित उल्लंघन है।
वकील कुश कालरा द्वारा दायर एक याचिका पर अदालत में इस मुद्दे पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने चीफ डिफेंस स्टाफ और संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से केंद्र, एनडीए, रक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है।
चीफ डिफेंस स्टाफ और संघ लोक सेवा आयोग योग्य पुरुष उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करता है और एनडीए में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित करता है।
याचिका में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि योग्य महिला उम्मीदवारों को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा’ में बैठने और एनडीए में प्रशिक्षण देने की अनुमति दी जाए।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे।
पीठ ने इस मामले में पक्षकार बनाने के लिये उत्तर प्रदेश की एक महिला की तरफ से दायर आवेदन भी स्वीकार कर लिया।
वकील कुश कालरा की तरफ से दायर याचिका में पिछले वर्ष फरवरी के ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने सेना की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमान पदस्थापन देने का निर्देश दिया था।