नई दिल्ली: ग्रीन पटाखों के नाम पर पुराने पटाखे बेचने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वो पटाखा बैन का कोर्ट के आदेश का पालन करें।
कोर्ट ने कहा कि हम जीवन की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दे सकते। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उत्सव के समय शोर वाले पटाखे कहां से प्राप्त कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि बिना शोर वाले पटाखों और फुलझड़ियों से भी उत्सव मनाया जा सकता है। शोर मचाने वाले पटाखों की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने उन छह पटाखा निर्माता कंपनियों का जवाब रिकार्ड पर लिया जिनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया गया था।
ये पटाखा निर्माता कंपनियां हैं मेसर्स स्टैंडर्ड फायरवर्क्स, मेसर्स हिन्दुस्तान फायरवर्क्स, मेसर्स विनायक फायरवर्क्स इंडस्ट्रीज, मेसर्स श्री मरिअम्मन फायरवर्क्स, मेसर्स श्री सूर्यकला फायरवर्क्स और मेसर्स सेल्वा विनयागर फायरवर्क्स।
29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर देश के छह पटाखा बनाने वाली कंपनियों को अवमानना नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई, चेन्नई के ज्वायंट डायरेक्ट की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पटाखा निर्माता कंपनियां अभी भी बेरियम नाईट्रेट का और उसके दूसरे लवणों का इस्तेमाल पटाखा बनाने में कर रही हैं।
पटाखा निर्माता कंपनियां पटाखों के लेबल पर उसमें शामिल सामग्री का उल्लेख नहीं करती हैं। ऐसा करना कोर्ट के पहले के आदेश का खुला उल्लंघन है।
कोर्ट ने पटाखा निर्माता कंपनियों को सीबीआई की रिपोर्ट देखने की अनुमति दी और 6 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों को अस्थमा की बीमारी है वे इस तकलीफ को समझ सकते हैं।
हमें देश की स्थिति को समझते हुए एक संतुलित रुख अपनाना होगा क्योंकि रोजाना ही कोई न कोई समारोह होते रहते हैं।
हम लोगों को मरने नहीं दे सकते हैं। सुनवाई के दौरान वकील किरण सूरी ने जब कोर्ट से पटाखा निर्माता कंपनियों की बात सुनने को कहा था तो कोर्ट ने कहा था कि हम आपको जेल जाने के पहले सुनेंगे।