Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के CJI D.Y चंद्रचूड़ (CJI D.Y Chandrachud) की पीठ ने कहा कि सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट नहीं होती है।
CJI की अगुवाई वाली सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) रिश्वत मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए 1998 के फैसले को सर्वसम्मति से पलट दिया है। पांच न्यायाशीधों की पीठ के फैसले के तहत सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट दी गई थी।
CJI ने फैसला सुनाकर कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है। 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है।
अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों एवं विशेषाधिकारों से संबंधित हैं। CJI चंद्रचूड़ ने पीठ के लिए फैसले का मुख्य भाग पढ़कर कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है, क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिमाचाल और बिहार पर असर!
हिमाचल पुलिस अपनी जांच में ये पाती है कि बागी विधायकों ने रिश्वत लेकर क्रॉस वोटिंग की तब उन पर कार्रवाई हो सकेगी है।
इतना ही नहीं बिहार में फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार की सरकार बच गई लेकिन जदयू विधायक सुंधाशु शेखर ने अब आरजेडी नेताओं पर Horse Trading के मामले में केस दर्ज कराया है।
शेखर का आरोप है कि जदयू के विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था। इतना ही नहीं Supreme Court आदेश के बाद हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन पर मुकदमा चल सकेगा। TMC नेता महुआ मोइत्रा ने अगर रिश्वत लेकर सवाल पूछा तब आपराधिक कार्रवाई हो सकती है।