गुवाहाटी: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने असम सरकार से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के नौ चिन्हित वाइल्डलाइफ कॉरिडोर्स (वन्यजीव गलियारों) में किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।
असम वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सीईसी के सदस्य-सचिव अमरनाथ शेट्टी ने मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को लिखे पत्र में चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पत्र में कहा गया है, यह अनुरोध किया जाता है कि 12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए किए गए सभी निर्मार्णों को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए और नौ चिन्हित एनिमल कॉरिडोर्स में किसी भी नए निर्माण की अनुमति न दी जाए।
सीईसी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी, प्रमुख हेमेन हजारिका द्वारा 10 सितंबर को प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, जिसमें वन उप महानिरीक्षक (मध्य) लैक्टिटिया जे. सिएमियोंग की रिपोर्ट संलग्न है, जो कि 12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर पेश की गई है।
अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले निजी भूमि पर नए निर्माण पर रोक लगा दी थी, जो काजीरंगा के नौ पहचाने गए गलियारों का हिस्सा है, जो 2,400 से अधिक एक सींग वाले भारतीय गैंडों का घर है। शीर्ष अदालत ने इन गलियारों में सभी तरह के खनन पर भी रोक लगा दी थी।
काजीरंगा के निदेशक, कर्मश्री पी. शिवकुमार के साथ, सिएमियोंग ने अगस्त में नौ गलियारों में से आठ पर निर्माण गतिविधियों का अध्ययन किया था।
सीईसी के पत्र में कहा गया है कि एनिमल कॉरिडोर के नौ में से पूरे आठ हिस्सों को पार करने के बाद फील्ड स्तर पर निरीक्षण किया गया, जहां पाया गया कि चारों तरफ अवैध निर्माण हुआ है।
पैनल सदस्य की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अवैध निर्माणों के अलावा, केएनपी और टीआर के जानवरों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ट्रकों आदि की उपस्थिति से है।
हाल के दिनों में यह देखा गया है कि ट्रक, टैंकर और अन्य वाहन सड़क पर पार्क करने के लिए रुक रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि इससे जंगली जानवरों की आवाजाही में अनावश्यक बाधा पैदा होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान 500 से अधिक ट्रक और वाहन देखे गए थे और कार्बी-आंगलोंग हिल रेंज से निकलने वाली नदियों और नालों के पानी का उपयोग ड्राइवरों और सहायकों द्वारा स्नान करने और वाहनों की धुलाई के लिए किया जा रहा था, जिससे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने वाला पानी प्रदूषित हो रहा था।
इसके अलावा पत्र में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि ऑटोमोबाइल गैरेज से तेल और ग्रीस, वाहन धोने से अपशिष्ट जल, ढाबों और होटलों से आने वाला सीवेज पानी डिफालो नदी में प्रवेश कर रहा है, जो काजीरंगा की जीवन रेखा है। वहीं ध्वनि प्रदूषण के कारण भी उद्यान का वातावरण बिगड़ने की बात कही गई है।