नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा कि कोर्ट कैसे तय करेगा कि ये बाबा फर्जी हैं या नहीं। आप सरकार के पास जाइए।
याचिका में मांग की गई थी कि जो फर्जी बाबा या फर्जी आध्यात्मिक गुरु हैं, उनके आश्रम को बंद किया जाए।
याचिकाकर्ता ने अखिल भारतीय अखाड़ा की सूची पेश की थी। कोर्ट ने कहा कि हम किसी भी अखाड़ा का अपमान नहीं कर रहे हैं।
जो लिस्ट बनाई गई है क्या उसमें बाबाओं का पक्ष सुना गया था। ये किसी कांट्रैक्टर की सूची नहीं है कि उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए। उसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले लिया।
याचिकाकर्ता ने राम रहीम का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे बाबाओं की सूची है जिसमें कई लोगों को दोषी और कई भगोड़े हैं।
याचिका सिकंदराबाद निवासी डुम्पाला रामरेड्डी ने दायर किया था। याचिका में कहा गया था कि बिना नियम-कायदे के चलने वाले कई आश्रम अवैध गतिविधियों के केंद्र बने हुए हैं।
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में 17 आश्रम ऐसे हैं जो फर्जी हैं।
यहां से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। इनमें पैसों का भी बड़ा खेल है।
याचिकाकर्ता ने अपनी पुत्री समेत कई महिलाओं को फर्जी बाबाओं द्वारा चलाए जा रहे आश्रमों से छुड़ाने की मांग की थी।
इन आश्रमों में साफ-सफाई का ध्यान नहीं दिया जाता है और वहां जेल जैसी स्थिति है।
याचिका में कहा गया था कि इन आश्रमों में कोरोना का संक्रमण होने की आशंका है।
जिस तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से भीड़ कम करने के लिए कदम उठाए हैं उसी तरह इन आश्रमों से भी भीड़ को कम करने के लिए कदम उठाए जाएं।
याचिका में कहा गया था कि रोहिणी के आध्यात्मिक विद्यालय के नाम पर आश्रम चलाया जा रहा है जो की अवैध है।
ऐसे फर्जी आश्रमों के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार विफल रही है।
ऐसे फर्जी आश्रम आसाराम बापू, गुरमीत राम रहीम और वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे फर्जी बाबाओं के द्वारा चलाए जा रहे हैं।