नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों को मजबूत बनाने की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना या बदलना कोर्ट का काम नहीं।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता लॉ कमीशन को सुझाव दे।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में मांग की थी कि भ्रष्टाचार के दोषियों की पूरी संपत्ति जब्त करने का कानून बने।
याचिका में ऐसे मामलों में उम्रकैद की भी सज़ा के कानून की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि मनी लाउंड्रिंग के मामले में कई केस लंबित हैं।
अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए जरुरी स्वीकृति लेना काफी कठिन होता है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि कोर्ट केवल कानून का प्रबंधन कर सकती है ।
कानून बनाना संसद का काम है।
तब शंकरनारायण ने कहा कि जब कानून में शून्यता हो तो कोर्ट दखल दे सकती है।
कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका से ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वो सब कुछ कर सकती है। ऐसी याचिका पर आदेश देना मुश्किल है।
एक प्रक्रिया होती है जिसमें कार्यपालिका, विधायिका होती है।
उसके बाद न्यायिक स्क्रूटनी होती है। क्या आपने लॉ कमीशन से अपनी बात रखी। आप वहां जाइए।