नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाने की मांग (Demand To Form a National Commission) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि हर केस की अलग परिस्थिति होती है। इस विषय में कानूनी व्यवस्था (Legal System) उपलब्ध है।
वकील महेश कुमार तिवारी ने दायर याचिका में कहा था कि शादीशुदा मर्दों में आत्महत्या करने के मामलों (Suicide Cases) में बढ़ोतरी हो रही है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का अनुरोध
याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि 2021 में पारिवारिक समस्याओं (Family Problems) के कारण तकरीबन 33.2 फीसदी पुरुषों ने और विवाह संबंधी वजहों के चलते 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया था।
याचिका में विवाहित पुरुषों की ओर से आत्महत्या के मुद्दे (Suicide Issues) से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि पुरुषों की समस्या समझने और हल करने के लिए आयोग होना चाहिए।